Rudrabhishek Types And Method: सावन का पवित्र महीना चल रहा है। इस पूरे महीने शिव जी की विशेष अराधना की जाती है। भक्त अपने घरों में या मंदिर में जाकर रुद्राभिषेक कराते हैं। खासतौर से सावन में आने वाली शिवरात्रि और नागपंचमी के दिन जलाभिषेक या रुद्राभिषेक कराना विशेष रूप से फलदायी माना जाता है। इससे भगवान शिव प्रसन्न होकर अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण कर देते हैं। रुद्राभिषेक 6 प्रकार से कराया जा सकता है जानिए कैसे…
जलाभिषेक: जानकारों के अनुसार भगवान शिव जलाभिषेक से भी प्रसन्न हो जाते हैं और अपने भक्तों के सभी मनोरथ पूर्ण करते हैं।
दुग्ध अभिषेक: शिवलिंग का दूध से भी अभिषेक किया जाता है। मान्यता है कि इससे दीर्घायु प्राप्त होती है।
शहद अभिषेक: शिवलिंग का शहद से अभिषेक करने से जीवन में सुख और समृद्धि आने की मान्यता है।
पंचामृत अभिषेक: दूध, दही, मिश्री, घी तथा शहद के मिश्रण से तैयार पंचामृत से भगवान शिव का अभिषेक करना सावन मास में बड़ा ही फलदायी माना जाता है। इससे धन, सम्पदा की प्राप्ति होती है।
घी अभिषेक: मान्यता है कि शिवलिंग का घी से अभिषेक करने से किसी प्रकार का शारीरिक रोग नहीं सताता।
दही अभिषेक: शिवलिंग का दही से भी अभिषेक किया जाता है। इससे साधक को संतान सुख प्राप्त होता है।
रुद्राभिषेक की महिमा: रुद्र भगवान शिव का ही प्रचंड रूप हैं। सावन में रुद्राभिषेक करना ज्यादा शुभ माना जाता है। शिवलिंग पर मंत्रों के साथ विशेष चीजें अर्पित करना ही रुद्राभिषेक कहलाता है। रुद्राभिषेक में शुक्ल यजुर्वेद के रुद्राष्टाध्यायी के मंत्रों का पाठ करते हैं। मान्यता है कि रुद्राभिषेक करने से मनोकामनाएं जल्दी पूरी होती हैं। कहा जाता है रुद्राभिषेक कोई भी कष्ट या ग्रहों की पीड़ा दूर करने का सबसे उत्तम उपाय है।
कौन से शिवलिंग पर करें रुद्राभिषेक? अलग-अलग शिवलिंग और स्थानों पर रुद्राभिषेक करने का फल भी अलग होता है। मंदिर के शिवलिंग पर रुद्राभिषेक करना सबसे उत्तम माना गया है। इसके अलावा घर में भी शिवलिंग का अभिषेक कर सकते हैं। लेकिन रुद्राभिषेक घर से ज्यादा मंदिर में, इसके बाद नदी तट पर और सबसे ज्यादा पर्वतों पर फलदायी होता है।