Shani Transit 2020: 24 जनवरी को शनि अपनी ही राशि मकर में प्रवेश कर जायेंगे। जहां पहले से ही उनके पिता सूर्य देव विराजमान हैं। ज्योतिष अनुसार इन दोनों की युति अच्छी नहीं मानी जाती है। क्योंकि शनि अपने पिता सूर्य को अपना दुश्मन मानते हैं। इसलिए जब ये दोनों एक साथ आते हैं तो विपरीत परिस्थितियां देखने को मिलती है। खासकर पिता पुत्र के संबंधों में इस दौरान तनाव उत्पन्न होने लगते हैं। सूर्य और शनि 13 फरवरी तक मकर राशि में एक साथ रहेंगे। जानिए पिता और पुत्र के बीच क्यों हो गई थी दुश्मनी…

सूर्य और शनि के बीच पिता पुत्र का संबंध होते हुए भी कट्टर शत्रुता है। ऐसा क्यों है इसके पीछे एक पौराणिक कथा है। जो इस प्रकार है – कहा जाता है कि सूर्य देव का विवाह संज्ञा से हुआ था। लेकिन संज्ञा सूर्यदेव का तेज सहन नहीं कर पाती थीं। फिर भी जैसे-तैसे उन्होंनें सूर्यदेव के साथ जीवन बिताया और उनकी वैवस्त मनु, यम और यमी तीन संतानें भी हुई। लेकिन समय बीतने के साथ-साथ संज्ञा के लिए सूर्यदेव का तेज सहना और भी ज्यादा मुश्किल होता चला गया।

ऐसे में उन्हें एक उपाय सूझा और वह अपनी परछाई छाया को सूर्यदेव के पास छोड़ कर वे चली गई। सूर्यदेव को छाया उनकी पत्नी संज्ञा ही लगीं और छाया को सूर्यदेव के तेज से कोई परेशानी भी नहीं हुई। अब सूर्यदेव और छाया खुशी-खुशी अपना जीवन व्यतीत करने लगे और उनके मिलन से सावर्ण्य मनु, तपती, भद्रा एवं शनि का जन्म हुआ। जब शनि छाया के गर्भ में थे छाया तपस्यारत रहते हुए व्रत उपवास करती थीं। कहते हैं कि अत्यधिक उपवास करने के कारण गर्भ में ही शनिदेव का रंग काला हो गया।

जन्म के बाद जब सूर्यदेव शनि के काले रंग को देखकर क्रोधित हो गए और उन्हें अपना पुत्र मानने से इंकार कर दिया साथ ही छाया पर आरोप लगाया कि यह उनका पुत्र नहीं हो सकता, लाख समझाने पर भी सूर्यदेव नहीं माने। इसी कारण खुद के और अपनी माता के अपमान के कारण शनिदेव सूर्यदेव से वैरभाव रखने लगे। शनिदेव ने भगवान शिव की कठोर तपस्या कर अनेक तरह की शक्तियां प्राप्त कर लीं और उन्हें एक न्यायप्रिय देवता की उपाधि प्राप्त हुई।

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वहीं कुछ पौराणिक कथाओं में इस बात का जिक्र मिलता है कि जन्म के पश्चात जब शनिदेव ने सूर्यदेव को देखा तो वे कोढग्रस्त हो गये। जिससे इन दोनों के बीच दुश्मनी की शुरुआत हुई।