आज देशभर में बसंत पंचमी का पर्व बहुत ही धूमधाम से मनाया जा रहा है। कई जगहों पर मेलों का भी आयोजन किया जा रहा है। हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। इस साल बसंत पंचमी तिथि पर रवि योग के साथ रेवती और अश्विनी नक्षत्र बन रहा है। इस दिन मां सरस्वती की विधिवत पूजा करने का विधान है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन मां सरस्वती प्राकट्य हुई थी। इस दिन सृष्टि के रचियता ब्रह्मा जी ने सरस्वती जी को प्रकट किया था। देवी सरस्वती कमल में विराजमान और चार हाथों से सुशोभित थी। एक हाथ में वीणा, दूसरे में पुस्तक, तीसरे में माला और चौथा हाल वर मुद्रा में था। ऐसे में ब्रह्मा जी ने इनका नाम देवी सरस्वती रखा। इसके साथ ही इस दिन से ऋतुओं में सर्वश्रेष्ठ बसंत ऋतु भी आरंभ हो जाता है। इस दिन मां सरस्वती की विधिवत पूजा करने के साथ पीले रंग का भोग लगाता शुभ माना जाता है, क्योंकि मां को पीला रंग अति प्रिय है। ऐसे में इस दिन मां सरस्वती की विधिवत पूजा करने के साथ उन्हें पीला रंग का भोग के साथ पीले रंग के माला और वस्त्र अर्पित करें। आइए जानते हैं बसंत पंचमी संबंधित हर एक अपडेट…
Maa Saraswati Ji Ki Aarti: यहां पढ़े सरस्वती जी की आरती लिरिक्स इन हिंदी
हे शारदे मां, हे शारदे मांं,
अज्ञानता से हमें तार दे मां
तू स्वर की देवी ये संगीत तुझ से,
हर शब्द तेरा है हर गीत तुझ से,
हम है अकेले, हम है अधूरे,
तेरी शरण हम, हमें प्यार दे मां
हे शारदे माँ, हे शारदे माँ…
मुनियों ने समझी, गुनियों ने जानी,
वेदों की भाषा, आगम की बानी,
हम भी तो समझे, हम भी तो जाने,
विद्या का हमको अधिकार दे मां
हे शारदे माँ, हे शारदे माँ…
तू श्वेतवर्णी कमल पे विराजे,
हाथों में वीणा, मुकुट सिर पे साझे,
मन से हमारे मिटाके अंधेरे,
हमको उजालों का संसार दे मां
हे शारदे माँ, हे शारदे मां…
बसंत पंचमी के दिन सरस्वती स्त्रोत के इस खास मंत्र का जापकरना लाभकारी सिद्ध हो सकता है।
या कुन्देन्दु तुषारहार धवला या शुभ्रवस्त्रावृता।
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।।
या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा।।
शुक्लां ब्रह्मविचारसारपरमांद्यां जगद्व्यापनीं।
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यांधकारपहाम्।।
हस्ते स्फाटिक मालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्।
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्।।
41. वाग्देवी ॐ वाग्देव्यै नमः। ,42. वसुधा ॐ वसुधायै नमः। ,43. तीव्रा ॐ तीव्रायै नमः। ,44. महाभद्रा ॐ महाभद्रायै नमः। ,45. महाबला ॐ महाबलायै नमः। ,46. भोगदा ॐ भोगदायै नमः। ,47. भारती ॐ भारत्यै नमः। ,48. भामा ॐ भामायै नमः। ,49. गोविन्दा ॐ गोविन्दायै नमः। ,50. गोमती ॐ गोमत्यै नमः। ,51. शिवा ॐ शिवायै नमः। ,52. जटिला ॐ जटिलायै नमः। ,53. विन्ध्यवासा ॐ विन्ध्यावासायै नमः। ,54. विन्ध्याचलविराजिता ॐ विन्ध्याचलविराजितायै नमः। ,55. चण्डिका ॐ चण्डिकायै नमः। ,56. वैष्णवी ॐ वैष्णव्यै नमः। ,57. ब्राह्मी ॐ ब्राह्मयै नमः। ,58. ब्रह्मज्ञानैकसाधना ॐ ब्रह्मज्ञानैकसाधनायै नमः। ,59. सौदामिनी ॐ सौदामिन्यै नमः। ,60. सुधामूर्ति ॐ सुधामूर्त्यै नमः। ,61. सुभद्रा ॐ सुभद्रायै नमः। ,62. सुरपूजिता ॐ सुरपूजितायै नमः। ,63. सुवासिनी ॐ सुवासिन्यै नमः। ,64. सुनासा ॐ सुनासायै नमः। ,65. विनिद्रा ॐ विनिद्रायै नमः। ,66. पद्मलोचना ॐ पद्मलोचनायै नमः। ,67. विद्यारूपा ॐ विद्यारूपायै नमः। ,68. विशालाक्षी ॐ विशालाक्ष्यै नमः। ,69. ब्रह्मजाया ॐ ब्रह्मजायायै नमः। ,70. महाफला ॐ महाफलायै नमः। ,71. त्रयीमूर्ती ॐ त्रयीमूर्त्यै नमः। ,72. त्रिकालज्ञा ॐ त्रिकालज्ञायै नमः। ,73. त्रिगुणा ॐ त्रिगुणायै नमः। ,74. शास्त्ररूपिणी ॐ शास्त्ररूपिण्यै नमः। ,75. शुम्भासुरप्रमथिनी ॐ शुम्भासुरप्रमथिन्यै नमः। ,76. शुभदा ॐ शुभदायै नमः। ,77. सर्वात्मिका ॐ स्वरात्मिकायै नमः। ,78. रक्तबीजनिहन्त्री ॐ रक्तबीजनिहन्त्र्यै नमः। ,79. चामुण्डा ॐ चामुण्डायै नमः। ,80. अम्बिका ॐ अम्बिकायै नमः। ,81. मुण्डकायप्रहरणा ॐ मुण्डकायप्रहरणायै नमः। ,82. धूम्रलोचनमर्दना ॐ धूम्रलोचनमर्दनायै नमः। ,83. सर्वदेवस्तुता ॐ सर्वदेवस्तुतायै नमः। ,84. सौम्या ॐ सौम्यायै नमः। ,85. सुरासुर नमस्कृता ॐ सुरासुर नमस्कृतायै नमः। ,86. कालरात्री ॐ कालरात्र्यै नमः। ,87. कलाधारा ॐ कलाधारायै नमः। ,88. रूपसौभाग्यदायिनी ॐ रूपसौभाग्यदायिन्यै नमः। ,89. वाग्देवी ॐ वाग्देव्यै नमः।,90. वरारोहा ॐ वरारोहायै नमः।,91. वाराही ॐ वाराह्यै नमः। ,92. वारिजासना ॐ वारिजासनायै नमः। ,93. चित्राम्बरा ॐ चित्राम्बरायै नमः। ,94. चित्रगन्धा ॐ चित्रगन्धायै नमः। ,95. चित्रमाल्यविभूषिता ॐ चित्रमाल्यविभूषितायै नमः। ,96. कान्ता ॐ कान्तायै नमः।,97. कामप्रदा ॐ कामप्रदायै नमः।,98. वन्द्या ॐ वन्द्यायै नमः।,99. विद्याधरसुपूजिता ॐ विद्याधरसुपूजितायै नमः।,100. श्वेतासना ॐ श्वेतासनायै नमः।,101. नीलभुजा ॐ नीलभुजायै नमः।,102. चतुर्वर्गफलप्रदा ॐ चतुर्वर्गफलप्रदायै नमः।,103. चतुरानन साम्राज्या ॐ चतुरानन साम्राज्यायै नमः।,104. रक्तमध्या ॐ रक्तमध्यायै नमः।,105. निरञ्जना ॐ निरञ्जनायै नमः।,106. हंसासना ॐ हंसासनायै नमः।,107. नीलजङ्घा ॐ नीलजङ्घायै नमः।, 108. ब्रह्मविष्णुशिवात्मिका ॐ ब्रह्मविष्णुशिवान्मिकायै नमः।
बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती के इन नामों का जाप कर सकते हैं। मां सरस्वती के कुल 108 नामों के मंत्र है।
सरस्वती ॐ सरस्वत्यै नमः।, महाभद्रा ॐ महाभद्रायै नमः।, 3. महामाया ॐ महमायायै नमः।, 4. वरप्रदा ॐ वरप्रदायै नमः।, 5. श्रीप्रदा ॐ श्रीप्रदायै नमः।, 6. पद्मनिलया ॐ पद्मनिलयायै नमः।, 7. पद्माक्षी ॐ पद्मा क्ष्रैय नमः।, 8. पद्मवक्त्रगा ॐ पद्मवक्त्रायै नमः।, 9. शिवानुजा ॐ शिवानुजायै नमः।, 10. पुस्तकधृत ॐ पुस्त कध्रते नमः।, 11. ज्ञानमुद्रा ॐ ज्ञानमुद्रायै नमः।, 12. रमा ॐ रमायै नमः।, 13. परा ॐ परायै नमः।, 14. कामरूपा ॐ कामरूपायै नमः।, 15. महाविद्या ॐ महाविद्यायै नमः।, 16. महापातक नाशिनी ॐ महापातक नाशिन्यै नमः।, 17. महाश्रया ॐ महाश्रयायै नमः।, 18. मालिनी ॐ मालिन्यै नमः।, 19. महाभोगा ॐ महाभोगायै नमः।, 20. महाभुजा ॐ महाभुजायै नमः।, 21. महाभागा ॐ महाभागायै नमः। ,22. महोत्साहा ॐ महोत्साहायै नमः। ,23. दिव्याङ्गा ॐ दिव्याङ्गायै नमः। ,24. सुरवन्दिता ॐ सुरवन्दितायै नमः। ,25. महाकाली ॐ महाकाल्यै नमः। ,26. महापाशा ॐ महापाशायै नमः। ,27. महाकारा ॐ महाकारायै नमः। ,28. महाङ्कुशा ॐ महाङ्कुशायै नमः। ,29. सीता ॐ सीतायै नमः। ,30. विमला ॐ विमलायै नमः। ,31. विश्वा ॐ विश्वायै नमः। 32. विद्युन्माला ॐ विद्युन्मालायै नमः। ,33. वैष्णवी ॐ वैष्णव्यै नमः। ,34. चन्द्रिका ॐ चन्द्रिकायै नमः। ,35. चन्द्रवदना ॐ चन्द्रवदनायै नमः। ,36. चन्द्रलेखाविभूषिता ॐ चन्द्रलेखाविभूषितायै नमः। ,37. सावित्री ॐ सावित्र्यै नमः। ,38. सुरसा ॐ सुरसायै नमः। ,39. देवी ॐ देव्यै नमः। ,40. दिव्यालङ्कारभूषिता ॐ दिव्यालङ्कारभूषितायै नमः। ,
बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती के इन मंत्रों का जाप करने से साधक की हर एक मनोकामना पूरी होती है। इसके साथ ही जीवन में खुशहाली आती है।
सरस्वती मंत्र
ॐ श्री सरस्वती शुक्लवर्णां सस्मितां सुमनोहराम्।।
कोटिचंद्रप्रभामुष्टपुष्टश्रीयुक्तविग्रहाम्।
वह्निशुद्धां शुकाधानां वीणापुस्तकमधारिणीम्।।
रत्नसारेन्द्रनिर्माणनवभूषणभूषिताम्।
सुपूजितां सुरगणैब्रह्मविष्णुशिवादिभि:।।
वन्दे भक्तया वन्दिता च।
सरस्वती देवी का मूल मंत्र
ऊं ऐं सरस्वत्यै ऐं नमः।
मां सरस्वती का संपूर्ण मंत्र
ऊं ऐं ह्रीं क्लीं महासरस्वती देव्यै नमः।
बसंत पंचमी के दिन गुलाल लगाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, बसंत पंचमी के दिन ही राधा-कृष्ण ने एक-दूसरे को गुलाल लगाया था। इस कारण इस दिन गुलाल लगाना काफी शुभ माना जाता है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ शुक्ल पंचमी तिथि को बसंत पंचमी 13 फरवरी को दोपहर 02 बजकर 41 मिनट से शुरू होगी, जो 14 फरवरी को दोपहर 12 बजकर 09 मिनट पर समाप्त होगी। इसके साथ ही सरस्वती पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 07 बजे से लेकर दोपहर 12 बजकर 41 मिनट तक रहेगा।
बसंत पंचमी के दिन काफी शुभ योगों में मां सरस्वती की पूजा करने का विधान है। इस दिन मां सरस्वती की पूजा करने के साथ-साथ उन्हें पीले रंग के फुल, वस्त्र चढ़ाने के साथ केसरयुक्त खीर का भोग लगाएं। इसके साथ ही जीवन में तरक्की, खुशहाली और सौभाग्य के लिए कुछ ज्योतिषीय उपायों को करना लाभकारी सिद्ध हो सकता है। आइए जानते हैं कुछ खास ज्योतिषीय उपायों के बारे में
हिंदू पंचांग के अनुसार, बंसत पंचमी के दिन काफी शुभ योग बन रहे हैं। इस दिन रवि योग सुबह 10 बजकर 43 मिनट से लेकर 15 फरवरी को सुबह 7 बजे तक रहेगा। इसके साथ ही रेवती नक्षत्र 13 फरवरी को दोपहर 12 बजकर 35 मिनट से शुरू होगा, जो 14 फरवरी को सुबह 10 बजकर 43 मिनट पर समाप्त होगा। इसके बाद से अश्विनी नक्षत्र लग जाएगा, जो 15 फरवरी को सुबह 9 बजकर 26 मिनट पर समाप्त होगा।
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता।
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना॥
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥१॥
शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं।
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्॥
हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्।
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्॥२॥