हिंदू मान्यताओं में सभी त्यौहारों का अपना-अपना महत्व है। हर त्यौहार किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित होता है। मार्च की बात करें तो इस महीने में कई त्यौहार आते हैं। आज (2 मार्च) को संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) है। बता दें, हर महीने में दो बार चतुर्थी मनाई जाती है। पूर्णिमा के बाद की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। संकष्टी चतुर्थी का अर्थ है संकट को हरने वाली चतुर्थी। इसके अलावा इसे द्विजप्रिय संकष्टी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान गणेश जी की पूजा की जाती है। गौरी पुत्र गणेश को समर्पित इस दिन महिलाएं पूरे विधि-विधान से भगवान गणेश की पूजा-अर्चना की जाती है।
मान्यता है कि इस दिन महिलाएं अपने बच्चों की लंबी आयु और खुशहाली के लिए भगवान गणेश का पूजन करती हैं और उपवास रखती हैं। यूं तो हर महीने संकष्टी चतुर्थी आती है। हालांकि, फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को काफी महत्व दिया गया है, जो आज (2 मार्च) को है।
संकष्टी चतुर्थी मुहूर्त:
तिथि आरंभ: संकष्टी चतुर्थी का आरंभ 2 मार्च मंगलवार को प्रात: 05 बजकर 46 मिनट से आरंभ होगा।
तिथि समाप्त: बुधवार रात 3 माप्त को 02 बजकर 59 मिनट पर समापन होगा।
पूजा विधि: संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश जी की पूजा की जाती है। इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करना चाहिए। जल में तिल मिलाकर अर्घ्य देना चाहिए। इस दिन व्रत रखने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। शाम के समय गणेश जी की विधिवत पूजा करनी चाहिए। इसके बाद भगवान को दूब अर्पित करना चाहिए। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ऐसा करने से धन-सम्मान में वृद्धि होती है।
ऐसी मान्यता है कि संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश को तुलसी चढ़ाने से वह नाराज हो जाते हैं। इसलिए उन्हें शमी का पत्ता या बेलपत्र ही अर्पित करना चाहिए। शाम को चांद को अर्घ्य देना चाहिए। कहा जाता है कि इस दिन तिल का दान करने से भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं।
मान्यता है कि इस दिन जमीन के अंदर होने वाले फलों और सब्जियों का सेवन नहीं करना चाहिए। जैसे-आलू, मूली प्याज या चुकंदर। ऐसा करने से भगवान गणेश नाराज होते हैं।
