Sankashti Chaturthi September 2020: हिंदू पंचांग (Hindu Panchang) के मुताबिक हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी का व्रत किया जाता है। इस बार यह व्रत 5 सितंबर, शनिवार (September 2020 Sankashti Chaturthi) को रखा जाएगा। आश्विन मास (Ashwin Sankashti Chaturthi) के कृष्ण पक्ष के चतुर्थी व्रत का नाम विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी है। संकष्टी चतुर्थी का व्रत भगवान गणेश के लिए रखा जाता है।

संकष्टी चतुर्थी व्रत का महत्व (Sankashti Chaturthi Vrat Ka Mahatva/ Sankashti Chaturthi Vrat Importance): भगवान गणेश को मांगलिक कार्यों के लिए याद किया जाता है। माना जाता है कि जिन लोगों के घर में मांगलिक कार्य नहीं होते हैं या जिनकी संतान का विवाह नहीं हो पा रहा है। उन्हें संकष्टी चतुर्थी का व्रत कर भगवान गणेश को प्रसन्न करना चाहिए।

कहते हैं कि संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने से भगवान गणेश प्रसन्न हो जाते हैं। जिससे गणपति की पूजा के फल स्वरुप विवाह के योग बनते हैं। भगवान गणेश को शुभता का कारक माना जाता है। इसलिए कहते हैं कि उनका व्रत करने से घर-परिवार में शुभता का वास होता है। विघ्नहर्ता गणेश में श्रद्धा रखने वाले उनके सभी भक्तों संकष्टी चतुर्थी का व्रत करते हैं। मान्यता है कि जो लोग संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखते हैं भगवान गणेश उनके सभी संकटों को दूर करते हैं। चतुर्थी का व्रत रखने वाले व्यक्ति पर भगवान गणेश की कृपा हमेशा बरसती रहती है।

संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि (Sankashti Chaturthi Puja Vidhi): 
चतुर्थी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठें। स्नान कर साफ कपड़े पहनें।
पूजन स्थल को साफ करें। उस स्थान को गंगाजल डालकर पवित्र करें।
फिर वहां एक चौकी लगाएं। चौकी पर पीले रंग का कपड़ा बिछाएं। उस पर स्वास्तिक बनाकर चावल और फूल से उसकी पूजा करें।
इसके बाद भगवान गणेश की प्रतिमा को चौकी पर विराजित करें।
दीपक और धूप जलाएं।

भगवान गणेश के मस्तक पर कुमकुम का तिलक लगाएं। साथ में भगवान गणेश के चरणों में दूर्वा घास अर्पित करें। भगवान गणेश को यह बहुत प्रिय है। इसलिए चतुर्थी व्रत में दूर्वा अवश्य अर्पित की जाती है।
भगवान गणेश का ध्यान करते हुए उन्हें प्रणाम करें। फिर गणेश स्तुति, गणेश चालीसा और गणेश अष्टकम का पाठ करें।
इसके बाद भगवान गणेश की आरती करें।
गणेश जी के जयकारे लगाते हुए उन्हें भोग लगाएं। संभव हो तो लड्डू या मोदक का भोग लगाएं।