महाभारत के अनुसार माना जाता है कि वेदव्यास जी ने हिमालय की पवित्र गुफा में ध्यान और योग की स्थिति में ही महाभारत की घटनाओं को शुरु से लेकर अंत तक अपने मन में ही महाभारत की रचना कर ली थी। इसके बाद उनके आगे समस्या थी कि इस ज्ञान को आम जनता तक कैसे पहुंचाया जाए क्योंकि ये एक जटिल और लंबा ग्रंथ माना जाता है। वेदव्यास जी इस बात से परेशान थे कि कोई ऐसा मिले जो इसे बिना गलती के वैसा लिख दें जैसा वो बोलते जाएं। महाभारत के लेखन के लिए वो ब्रह्मा जी के पास गए और उनसे महाभारत के लेखन के लिए कहा।
ब्रह्मा जी ने उन्हें भगवान गणेश के पास भेज दिया। गणेश जी से वेदव्यास जी ने लेखन के लिए कहा, भगवान गणेश ने हां तो कर दी लेकिन एक शर्त उनके सामने रखी कि वो लेखन करते हुए एक बार भी कलम नहीं रखेंगे। एक बार शुरु होने पर ग्रंथ के खत्म होने पर ही वो रुकेंगे। व्यास जी जानते थे कि ये शर्त बहुत कठिनाई ला सकती है। व्यास जी ने भगवान गणेश के सामने एक शर्त रख दी कि जब वो बोल रहे होंगे तो किसी भी श्लोक को लिखने से पहले उन्हें उसका अर्थ समझना होगा। गणेश जी ने इस शर्त को स्वीकार कर लिया। व्यास जी महाभारत की कथा के बीच कठिन श्लोक बोल देते थे और उसका अर्थ समझने के लिए भगवान गणेश को लेखन रोकना पड़ता था।
माना जाता है कि पूरी महाभारत के लेखन कार्य में 3 वर्ष का समय लगा था। इसी के साथ माना जाता है कि बद्रीनाथ क्षेत्र के पास मौजूद गुफा को महाभारत का रचनास्थल माना जाता है। पुराणों की मान्यतानुसार बद्रीनाथ धाम की स्थापना सतयुग में हुई थी। महाभारत विश्व का सबसे लंबा साहित्यिक ग्रंथ माना जाता है। भगवान विष्णु ने बद्रीनाथ में कई सालों तक तपस्या की थी।


