हिंदू धर्म में कोई भी मांगलिक या धार्मिक कार्य शुरू करने से पहले शंख का प्रयोग किया जाता है। मान्यता है कि जहां शंख ध्वनि होती है, वहां मां लक्ष्मी निवास करतीं हैं। क्योंकि धर्म ग्रंथों में इसे लक्ष्मी जी का भाई बताया गया है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि शंख का धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व क्या है? और पूजा-पाठ के वक्त इसका इस्तेमाल क्यों किया जाता है? यदि नहीं, तो आइए जानते हैं इसे।

प्रमुख 3 प्रकार के होते हैं शंख:

1- दक्षिणावर्ती 2- मध्यावर्ती 3- वामवर्ती। शास्त्रों में ये 3 प्रकार के प्रमुख शंखों का उल्लेख मिलता है। वहीं कहते हैं कि भगवान विष्णु का जो शंख है वह मध्यावर्ती है और मां लक्ष्मी का शंख वामावर्ती है। मान्यताओं के अनुसार पूजा-पाठ के वक्त दक्षिणावर्ती और वामावर्ती शंख का ही उपयोग किया जाता है।

शंख का धार्मिक महत्व और लाभ:

धार्मिक मान्यता के अनुसार शंख को पूजा की वेदी पर स्थापित किया जाता है। इसे दिवाली, होली, शिवरात्रि, नवरात्रि सहित आदि कुछ विशेष नक्षत्रों के शुभ मुहूर्त पर स्थापित किया जाता है। साथ ही मान्यता है कि शंख को बजाने से लंबी आयु और आरोग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। शंख बजाने से फेफड़े मजबूत होते हैं। जिस घर के पूजा स्थल पर शंख रहता है और उसे प्रतिदिन बजाया जाता है, वहां पर धन की देवी मां लक्ष्मी का वास बना रहता है।  शंख की मंगल ध्वनि से नकारात्मक उर्जा दूर हो जाती है और किसी भी प्रकार की उपरी बाधा का असर नहीं होता है। साथ ही शंख में जल भरकर भगवान शिव का रुद्राभिषेक करने से भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं। (यह भी पढ़ें)- Guru Uday: गुरु ग्रह के उदय होने से इन राशि वालों को व्यापार और करियर में हो सकता है जबरदस्त धनलाभ

शंख का वैज्ञानिक महत्व:

वैज्ञानिक रूप से भी शंख का खास महत्व है। वैज्ञानिक ऐसा मानते हैं कि इसकी ध्वनि वातावरण को शुद्ध करती है। साथ ही शंख की ध्वनि जहां कहीं भी पहुंचती है वहां मौजूद अदृश्य सभी किटाणु नष्ट हो जाते हैं। इसके अलावा शंख में थोड़ा चूने का पानी भरकर पीने से शरीर में कैल्शियम की स्थिति अच्छी रहती है। वहीं शंख बजाने से दिल की बीमारी और फेफड़े के संक्रमण दूर हो जाते हैं। (यह भी पढ़ें)- व्यापार के दाता बुध देव गुरु की राशि में करेंगे प्रवेश, इन 3 राशि वालों की धन- दौलत में बढ़ोतरी के आसार