भगवान श्री कृष्ण का एक नाम रणछोड़ भी है। आपको इस बात पर हैरानी हो सकती है कि हर एक काम में सक्षम भगवान कृष्ण को रणछोड़ क्यों कहा गया। रणछोड़ यानी कि ऐसा व्यक्ति जो रण(युद्ध) छोड़कर भाग गया हो। दरअसल उनके इस नाम के पीछे एक बड़ा ही रोचक प्रसंग छिपा है। यह प्रसंग उस घटनाक्रम से जुड़ा है जब मगध के शासक जरासंध ने कृष्ण जी को युद्ध के लिए ललकारा था। लेकिन कृष्ण जरासंध से मथुरा में मुकाबला नहीं करना चाहते थे। उन्हें पता था कि जरासंध से मथुरा में लड़ना कोई समझदारी भरा काम नहीं होगा। ऐसे में कृष्ण ने अपने भाई बलराम व समस्त प्रजाजनों के साथ युद्ध ना करने का फैसला किया।
बताते हैं कि इसके बाद कृष्ण द्वारका को ओर बढ़ने लगे। कृष्ण को मैदान से भागते हुए जरासंध ने देख लिया। जरासंध ने इसी समय कृष्ण को रणछोड़ कहकर पुकारा और उनका यह नाम पड़ गया। काफी देर तक चलते रहने के बाद कृष्ण और बलराम आराम करने लगे। वे दोनों प्रवर्शत पर्वत पर आराम करने लिए रुके थे। इस पर्वत पर हमेशा बारिश होती रहती थी। जरासंध को इस बात की जानकारी मिल गई। इस पर जरासंध ने अपने सैनिकों को पर्वत पर आग लगाने का आदेश दे दिया।
इस प्रसंग के मुताबिक आग से बचने के लिए कृष्ण जी 44 फीट ऊंचे पर्वत से कूद गए। और उन्होंने द्वारका में प्रवेश किया। कृष्ण ने द्वारका में एक नई नगरी बसाई। कुछ समय बाद इस नगरी से ठीक पहले का स्थान रणछोड़ जी महाराज के स्थान के नाम से जाना गया। इस स्थान पर एक भव्य मंदिर का निर्माण हुआ। इस मंदिर को रणछोड़ जी महाराज के मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर में हर समय भक्तों की भारी भींड़ लगी रहती है। यहां पर आकर लोग कृष्ण की भक्ति में रम जाते हैं।