रविपुष्यामृत योग और व्यतीपात योग रविवार (20 अगस्त 2017) को हैं। रविपुष्यामृत योग सूर्योदय से शाम 05:22 तक रहेगा। ‘शिव पुराण’ में पुष्य नक्षत्र को भगवान शिव की विभूति बताया गया है। पुष्य नक्षत्र के प्रभाव से अनिष्ट-से-अनिष्टकर दोष भी समाप्त और निष्फल-से हो जाते हैं, वे हमारे लिए पुष्य नक्षत्र के पूरक बनकर अनुकूल फलदायी हो जाते हैं।
‘सर्वसिद्धिकर: पुष्य:।’
इस शास्त्रवचन के अनुसार पुष्य नक्षत्र सर्वसिद्धिकर है। पुष्य नक्षत्र में किये गए श्राद्ध से पितरों को अक्षय तृप्ति होती है तथा कर्ता को धन, पुत्रादि की प्राप्ति होती है। इस योग में किया गया जप, ध्यान, दान, पुण्य महाफलदायी होता है परंतु पुष्य में विवाह व उससे संबधित सभी मांगलिक कार्य वर्जित हैं।
व्यतीपात योग– 19 अगस्त 2017 शनिवार को दोपहर 03:01 से 20 अगस्त 2017 रविवार को सुबह 11:48 तक व्यतीपात योग है।
व्यतिपात योग की ऐसी महिमा है, कि उस समय जप पाठ प्राणायम, माला से जप या मानसिक जप करने से भगवान की और विशेष कर भगवान सूर्यनारायण की प्रसन्नता प्राप्त होती है। जप करने वालों को, व्यतिपात योग में जो कुछ भी किया जाता है उसका १ लाख गुना फल मिलता है, वाराह पुराण में ये बात आती है।
*व्यतिपात योग*: देवताओं के गुरु बृहस्पति की धर्मपत्नी तारा पर चन्द्र देव की गलत नजर थी, जिसके कारण सूर्य देव अप्रसन्न हुऐ, नाराज हुऐ, उन्होनें चन्द्रदेव को समझाया पर चन्द्रदेव ने उनकी बात को अनसुना कर दिया तो सूर्य देव को दुःख हुआ और अपने गुरुदेव की याद आई कि कैसा गुरुदेव के लिये आदर प्रेम श्रद्धा होना चाहिये और आँखों से आँसु बहे; वो समय व्यतिपात योग कहलाता है।