Ramayan: कोरोनावायरस (Coronavirus) लॉकडाउन (Lock Down) के बीच पुराने वक्त के लोकप्रिय सीरियल्स का फिर से प्रसारण किया गया। जिन्हें दर्शकों का खूब प्यार भी मिला। डीडी नेशनल (DD National) पर प्रसारित हो रहा शो रामायण (Ramayan) इन दिनों लोगों की पहली पसंद बना हुआ है। जिस कारण ये टीआरपी लिस्ट में भी टॉप पर है। रामायण हिंदू धर्म का पवित्र ग्रंथ है। जिसे पढ़ने से मन को शांति मिलती है। रामायण के पात्रों के आपसी संवाद काफी प्रेरक हैं। यहां हम बात कर रहे हैं विभीषण को लेकर जामवंत और हनुमान जी के बीच हुए संवाद की…

जब विभीषण लंका में अपने भाई रावण द्वारा अपमानित होने के बाद राम जी से मिलने पहुंचते हैं। तो सभी को उन्हें देखकर संदेह होता है। क्योंकि वह राक्षस रावण के भाई थे। महाज्ञानी जामवंत जी को भी विभीषण पर शक होता है। जिस पर जामवंत कहते हैं कि विभीषण हमारा हितेषी नहीं हो सकता आखिर वो रावण का भाई है। वह अवसर पाकर हमारी कभी भी हानि कर सकता है। इस पर हनुमान जी कहते हैं कि वो राक्षस जाति का है इसलिए वे दुष्ट और दुर्जन है यह मान लेना अन्याय है। कोई भी प्राणि जाति से अच्छा या बुरा नहीं होता वो तो अपने कर्मों से अच्छा या बुरा होता है। कर्म का महत्व रामायण ही नहीं महाभारत में भी भगवान कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश देते हुए समझाया है। गीता में कहा गया है…

Geeta Updesh On Karm:

– हम जो भी कर्म करते हैं उसका फल हमें ही भोगना पड़ता है। इसलिए कर्म करने से पहले विचार कर लेना चाहिए।

– ऐसा कोई नहीं, जिसने भी इस संसार में अच्छा कर्म किया हो और उसका बुरा अंत हुआ है, चाहे इस काल (दुनिया) में हो या आने वाले काल में।

– आपको कर्म करने का अधिकार है, परन्तु फल पाने का नहीं। आपको इनाम या फल पाने के लिए किसी भी क्रिया में भाग नहीं लेना चाहिए, और ना ही आपको निष्क्रियता के लिए लम्बे समय तक करना चाहिए।

– जनकादि ज्ञानीजन भी आसक्ति रहित कर्मद्वारा ही परम सिद्धि को प्राप्त हुए थे, इसलिए तथा लोकसंग्रह को देखते हुए भी तू कर्म करने के ही योग्य है अर्थात तुझे कर्म करना ही उचित है

– यज्ञ के निमित्त किए जाने वाले कर्मों से अतिरिक्त दूसरे कर्मों में लगा हुआ ही यह मुनष्य समुदाय कर्मों से बँधता है। इसलिए हे अर्जुन! तू आसक्ति से रहित होकर उस यज्ञ के निमित्त ही भलीभाँति कर्तव्य कर्म कर।

Chanakya Niti In Hindi On Karm: 

भारत के महान ज्ञानी और चंद्रगुप्त मौर्य के महामंत्री चाणक्य ने भी कर्म के महत्व पर अपनी बातें रखीं हैं। चाणक्य अनुसार जीव जब गर्भ में होता है, उस समय उसकी आयु, कर्म, धन, विद्या और मृत्यु—ये पाँच बातें निश्चित हो जाती हैं । चाणक्य का मनाना था कि एक मनुष्य के जीवन में लगभग एक सौ एक बार मृत्यु का योग बनता है। जिसमें एक बार काल मृत्यु और बाकी अकाल मृत्यु होती हैं। इन अकाल मृत्यु को कर्म और भोग से बदला जा सकता है।

चाणक्य ने ये भी कहा है कि हमें भूत के बारे में पछतावा नहीं करना चाहिए और न ही भविष्य के बारे में चिंतित होना चाहिए. विवेकवान व्यक्ति हमेशा वर्तमान में जीते हैं। साथ ही एक बार जब आप कोई काम शुरु करते हैं, तो असफलता से डरे नहीं और ना ही उसे त्‍यागें. ईमानदारी से काम करने वाले लोग खुश रहते हैं।