Rama Ekadashi 2024 Shubh Muhurat: सनातन धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। आपको बता दें कि एक साल में लगभग 24 एकादशी पड़ती हैं हालांकि, अगर किसी साल में अधिक मास होता है, तो उसमें दो और एकादशियां आ जाती हैं और इस तरह कुल 26 एकादशियां पड़ती हैं। वहीं कार्तिक मास की पहली एकादशी को रमा एकादशी के नाम से जाना जाता है। जो कि 28 को है। वहीं आपको बता दें कि रमा एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति के जीवन में सुख समृद्धि आती है। इस बार रमा एकादशी पर बहुत ही शुभ योग बन रहे हैं। इसलिए इस व्रत का महत्व और भी बढ़ गया है। आइए जानते हैं रमा एकादशी व्रत की तिथि और पारण समय…

रमा एकादशी 2024 शुभ मुहूर्त (Rama Ekadashi 2024 Shubh Muhurat)

चर-सामान्य मुहूर्त – 01:29 पी एम से 02:53 पी एम
लाभ-उन्नति मुहूर्त – 02:53 पी एम से 04:16 पी एमवार वेला
अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त – 06:31 ए एम से 07:55 ए एम
शुभ-उत्तम मुहूर्त – 12:06 पी एम से 01:31 पी एम तक
चर-सामान्य मुहूर्त – 01:29 पी एम से 02:53 पी एम

रमा एकादशी तिथि और पारण समय

वैदिक पंचांग के अनुसार एकादशी तिथि की शुरुआत 27 तारीख में सुबह 5 बजकर 23 मिनट पर हो रही है और 28 तारीख को सुबह 7 बजकर 52 मिनट पर एकादशी तिथि का अंत हो रहा है। इस बार एकादशी पर हरिवास का दुर्लभ संयोग बन रहा है। आपको बता दें कि उदया काल में एकादशी तिथि 27 तारीख को होने के कारण रमा एकादशी का व्रत इसी दिन किया जाएगा और इसका पारण अगले दिन 28 अक्टूबर को यानी कि आज सुबह 8 बजे के बाद किया जाएगा।

बन रहा अभिजीत मुहूर्त

पंचांग के मुताबिक आज रमा एकादशी पर अभिजीत मुहूर्त बन रहा है। यह मुहूर्त 11 बजकर 28 मिनट से शुरू होकर 12 बजकर 28 मिनट तक रहेगा।

रमा एकादशी आरती (Rama Ekadashi Ki Aarti)

ॐ जय एकादशी, जय एकादशी, जय एकादशी माता
विष्णु पूजा व्रत को धारण कर, शक्ति मुक्ति पाता

तेरे नाम गिनाऊं देवी, भक्ति प्रदान करनी
गण गौरव की देनी माता, शास्त्रों में वरनी

मार्गशीर्ष के कृष्णपक्ष की उत्पन्ना, विश्वतारनी जन्मी
शुक्ल पक्ष में हुई मोक्षदा, मुक्तिदाता बन आई

पौष के कृष्णपक्ष की, सफला नामक है
शुक्लपक्ष में होय पुत्रदा, आनन्द अधिक रहै

नाम षटतिला माघ मास में, कृष्णपक्ष आवै
शुक्लपक्ष में जया, कहावै, विजय सदा पावै

विजया फागुन कृष्णपक्ष में शुक्ला आमलकी,
पापमोचनी कृष्ण पक्ष में, चैत्र महाबलि की

चैत्र शुक्ल में नाम कामदा, धन देने वाली
नाम बरुथिनी कृष्णपक्ष में, वैसाख माह वाली

शुक्ल पक्ष में होय मोहिनी अपरा ज्येष्ठ कृष्णपक्षी,
नाम निर्जला सब सुख करनी, शुक्लपक्ष रखी

योगिनी नाम आषाढ में जानों, कृष्णपक्ष करनी
देवशयनी नाम कहायो, शुक्लपक्ष धरनी

कामिका श्रावण मास में आवै, कृष्णपक्ष कहिए
श्रावण शुक्ला होय पवित्रा आनन्द से रहिए

अजा भाद्रपद कृष्णपक्ष की, परिवर्तिनी शुक्ला
इन्द्रा आश्चिन कृष्णपक्ष में, व्रत से भवसागर निकला

पापांकुशा है शुक्ल पक्ष में, आप हरनहारी
रमा मास कार्तिक में आवै, सुखदायक भारी

देवोत्थानी शुक्लपक्ष की, दुखनाशक मैया
पावन मास में करूं विनती पार करो नैया

परमा कृष्णपक्ष में होती, जन मंगल करनी
शुक्ल मास में होय पद्मिनी दुख दारिद्र हरनी

जो कोई आरती एकादशी की, भक्ति सहित गावै
जन गुरदिता स्वर्ग का वासा, निश्चय वह पावै

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