Kalawa Bandhne Ke Niyam: हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य से पहले कलाई पर कलावा बांधने की परंपरा होती है, जिसे रक्षा सूत्र या मौली भी कहा जाता है। कलावा बांधने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। यह सिर्फ एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि शुभता और सुरक्षा का प्रतीक भी है। कहा जाता है कि भगवान वामन ने असुर राजा बलि की कलाई पर कलावा बांधा था, तभी से इसे रक्षा सूत्र के रूप में धारण करने की परंपरा चली आ रही है। लेकिन शास्त्रों के अनुसार, हांथ में रक्षा सूत्र पहनने पहले आपको कुछ नियमों का ध्यान जरूर रखना चाहिए। ऐसे में आइए जानते हैं कि कलावा कब और कैसे बांधना चाहिए, इसके लाभ क्या हैं और इससे जुड़े खास नियम क्या हैं।
कलावा कब बांधना चाहिए?
कलावा किसी भी दिन बांधा जा सकता है, लेकिन इसे बांधते समय शुभ मुहूर्त देखना जरूरी होता है। अगर पुराना कलावा 21 दिन से ज्यादा हो जाए, तो उसे मंगलवार या शनिवार के दिन उतारना सबसे शुभ माना गया है।
कलावा बांधने के फायदे
कलावा त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) का प्रतीक माना जाता है। इसे विधि-विधान से बांधने से ईश्वरीय कृपा बनी रहती है और सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। रक्षा सूत्र हमें बुरी शक्तियों से बचाता है। ऐसा माना जाता है कि कलावा बांधने से ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और हृदय संबंधी रोगों में लाभ मिलता है। वही, यदि सही विधि से कलावा बांधा जाए, तो यह मंगल और गुरु ग्रह की सकारात्मकता को बढ़ाता है और जीवन में शुभ फल प्रदान करता है।
रक्षा सूत्र कितने दिनों तक पहनना चाहिए?
बहुत से लोग एक ही रक्षा सूत्र को महीनों तक पहनकर रखते हैं, लेकिन यह सही नहीं है। शास्त्रों के अनुसार, जब रक्षा सूत्र का रंग उतरने लगे, तो उसकी ऊर्जा कम होने लगती है। इसलिए 21 दिनों से ज्यादा कलावा नहीं पहनना चाहिए। इसके बाद इसे उतारकर किसी नदी में प्रवाहित कर देना चाहिए या फिर किसी पेड़ की जड़ में दबा देना चाहिए।
ऐसा कलावा न बांधें
जिस कलावा का रंग उतर गया हो, उसे दोबारा नहीं पहनना चाहिए। पुराने और फटे कलावे को तुरंत बदलकर नया कलावा शुभ मुहूर्त में बांधना चाहिए। उतारे गए रक्षा सूत्र को कूड़ेदान में न डालें, बल्कि किसी पवित्र स्थान पर विसर्जित करें। कलावा बांधने का सही तरीका पुरुषों और अविवाहित महिलाओं को दाएं हाथ में कलावा बांधना चाहिए। शादीशुदा महिलाओं को बाएं हाथ में कलावा बांधना चाहिए। कलावा बांधते समय हाथ की मुट्ठी बंद रखनी चाहिए और मुट्ठी में दक्षिणा रखनी चाहिए। दक्षिणा उसी व्यक्ति को देनी चाहिए, जो कलावा बांध रहा हो। दूसरा हाथ सिर पर रखकर ही कलावा बंधवाना चाहिए। कलावा 3, 5, 7 या 9 बार लपेट सकते हैं।
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