Chandra Grahan 2018, Purnima 2018 Puja Muhurat: हिंदू धर्म में पूर्णिमा और अमावस्या की तिथियों को अहम माना जाता है। पंचांग के अनुसार माघ माह की पूर्णिमा को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। नारद पुराण, मत्सय पुराण के साथ कई ग्रंथों में इस पूर्णिमा के महत्व के बारे में बताया गया है। नारदपुराण के अनुसार पूर्णिमा के दिन व्रत करने वाले श्रद्धालु को भगवान विष्णु का विशेष वरदान प्राप्त होता है। माना जाता है कि इस दिन माघ माह के कल्पवास की समाप्ति होती है। कई साधु माघ माह में तपस्या पर जाते हैं और पूर्णिमा के दिन स्नान करने के बाद तपस्या को पूर्ण करते हैं, इसे ही कल्पवास कहा जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार पूर्णिमा चंद्र मास का अंतिम दिन होता है और मघा नक्षत्र युक्त पूर्णिमा होने के कारण ही इस माह को माघ माह कहा जाता है। इस वर्ष माघी पूर्णिमा के दिन साल का पहला ग्रहण भी लग रहा है। इसे ग्रहण को खग्रमास चंद्रग्रहण कहा जा रहा है।
रहा है।शास्त्रों के अनुसार मान्यता है कि सभी देवता माघ मास में गंगा स्नान के लिए पृथ्वी पर आते हैं। मानव रुप में वो भी पूरे मास भजन-कीर्तन करते हैं और पूर्णिमा के दिन देवता पवित्र गंगा में स्नान करने के बाद स्वर्ग लौट जाते हैं। माघी पूर्णिमा के लिए मान्यता प्रसिद्ध है कि द्वापर युग में दानवीर कर्ण को माता कुंती ने माघ पूर्णिमा के दिन ही जन्म दिया था और इसी दिन माता कुंती ने उन्हें नदी में प्रवाहित कर दिया था। पूर्णिमा के दिन स्नान करने के लिए माना जाता है कि इस दिन स्नान करने वाले को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
Purnima 2018: आज है माघी पूर्णिमा, जानें पवित्र नदियों में स्नान का महत्व
अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस वर्ष 31 जनवरी 2018 को माघी पूर्णिमा और चंद्र ग्रहण का विशेष योग बन रहा है। पूर्णिमा की तिथि 30 जनवरी को रात 10 बजकर 23 मिनट से शुरु होगी और इसका समापन 31 जनवरी को शाम 6 बजकर 56 मिनट पर होगा। इस दिन व्रत करने वाले स्नान के बाद भगवान शिव और विष्णु का पूजन विधि के साथ करते हैं। शास्त्रों में इस दिन यज्ञ करने की मान्यता है। पूजन के बाद भक्त अपनी श्रद्धा के अनुसार गरीबों को दान-पुण्य करते हैं। इस दिन गंगा में स्नान करने का महत्व है, कहा जाता है कि भगवान विष्णु क्षीर सागर में विराजते हैं और पवित्र नदी गंगा को क्षीर सागर का रुप माना जाता है।

