Shri Hit Premanand Govind Sharan Ji Maharaj: प्रेमानंद महाराज अपने सहज और प्रभावशाली प्रवचनों के लिए जाने जाते हैं। आज की युवा पीढ़ी में उनका विशेष प्रभाव है। उनके प्रवचन केवल भक्ति तक सीमित नहीं हैं, बल्कि जीवन की दिशा बदलने वाले संदेश भी देते हैं।
चाहे कोई बच्चा हो या बुजुर्ग, हर कोई प्रेमानंद महाराज का दीवाना है। प्रेमानंद महाराज के सत्संगों में लाखों लोग शामिल होते हैं और वे अपने प्रवचनों के जरिए लोगों को प्रेरित करते हैं। उनके प्रवचनों को सुनकर कई लोगों ने अपने जीवन में सुधार किया है।
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लोग अक्सर अपनी जीवन से जुड़ी उलझनों को लेकर प्रेमानंद महाराज के पास पहुंचते हैं। महाराज बड़े ही सहज और स्पष्ट रूप में उनके प्रश्नों का उत्तर देते हैं। इसी दौरान एक भक्त ने प्रेमानंद महाराज से पूछा कि – ‘अगर कोई व्यक्ति अपनी गलती मानता है, पश्चाताप करता है और अपने जीवन को बदलना चाहता है, तो क्या उसे माफ कर देना चाहिए?’
गलती पर पश्चाताप करने वाले को एक अवसर अवश्य दें – प्रेमानंद महाराज
इस सवाल के जवाब में प्रेमानंद महाराज ने कहा कि ‘क्षमा करना केवल दूसरे को नहीं, खुद को भी मुक्त करता है। जब कोई हृदय से परिवर्तन चाहता है, तो उसका हाथ थामना ही सच्ची मानवता है।’ प्रेमानंद महाराज ने कहा कि हर व्यक्ति को सुधार का एक अवसर मिलना चाहिए। उन्होंने समझाया कि जीवन में गलतियां सभी से होती हैं। कभी-कभी अच्छे और संस्कारी लोग भी कुसंग या परिस्थिति वश गलत रास्ते पर चले जाते हैं। महाराज ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति अपनी गलती को लेकर पश्चाताप कर रहा है और ईमानदारी से कहता है कि वह दोबारा उस गलती को नहीं दोहराएगा, तो हमें उसे एक बार सुधार का मौका देना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि किसी को मौका देना केवल उस व्यक्ति को नहीं, बल्कि खुद को भी शांति देने जैसा होता है।
बार-बार गलती करने वाले को मिलनी चाहिए सजा – प्रेमानंद महाराज
प्रेमानंद महाराज अपने प्रवचनों में स्पष्ट रूप से कहते हैं कि अगर कोई व्यक्ति एक गलती करता है और सच्चे हृदय से क्षमा मांगता है, तो उसे एक अवसर अवश्य देना चाहिए। जीवन में हर इंसान से कभी न कभी कोई न कोई चूक हो ही जाती है और पश्चाताप करने वाला व्यक्ति यदि सुधरना चाहता है, तो उसे दोबारा गिरने नहीं देना चाहिए, बल्कि सहारा देना चाहिए।
लेकिन महाराज यह भी कहते हैं कि जो व्यक्ति बार-बार वही गलती दोहराता है, वह केवल नाटक करता है, दिखावे में क्षमा मांगता है, लेकिन उसका उद्देश्य सुधार नहीं, बल्कि छल होता है। ऐसे व्यक्ति को क्षमा नहीं, बल्कि दंड देना चाहिए ताकि वह औरों के लिए भी एक उदाहरण बन सके। उन्होंने कहा, ‘यदि कोई सच में पश्चाताप करता है और सुधार चाहता है तो वह अपनी गलती दोहराएगा ही नहीं। लेकिन बार-बार गलती करने वाले के लिए क्षमा नहीं, सजा ही उचित होती है।’
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