वास्तु शास्त्र में भवन निर्माण से लेकर वस्तु को किस स्थान पर रखना चाहिए, सभी सावधानियों को बताया जाता है। इसी के साथ गर्भवती महिला के लिए भी वास्तु के टिप्स बताए जाते हैं। माना जाता है कि इन टिप्स का पालन करने से एक स्वस्थ्य का जन्म होता है। गर्भवस्था को एक महिला का सबसे कोमल समय माना जाता है इसमें महिला को अपने साथ, उसके अंदर पल रहे शिशु का भी ध्यान रखने की आवश्यकता होती है।
– गर्भवस्था के पूरे नौ महीने तक पति-पत्नी दोनों को दक्षिण दिशा की तरफ सिर करके सोना चाहिए।
– गर्भवस्था के दौरान घर के दक्षिण-पूर्वी कोने में एक दीपक जलाया जाना चाहिए, इससे बच्चे पर शुभ प्रभाव पड़ता है।
– मोर पंख को बहुत पवित्र माना जाता है, इसे घर में रखने से नकारात्मकता दूर रहती है।
– पीले चावलों को मंगलसूचक माना जाता है, गर्भवती महिला यदि इन्हें पास रखती है तो बच्चे और मां पर नकारात्मक शक्तियां अपना प्रभाव नहीं डालती हैं।
– भगवान कृष्ण के बाल रुप का चित्रपट उनकी माता यशोदा के साथ इस तरह लगाएं जिससे गर्भवती महिला
प्रातः पहली नजर उसपर डाल सके।
– गुलाबी रंग आंखों को सुकून देता है औऱ इससे घर के सभी लोगों में आत्मीयता बढ़ती है। गर्भवती महिलाओं के शयनकक्ष में इस रंग का अधिक प्रयोग करना शुभ माना जाता है।
– कमरे का वास्तु यदि ठीक नहीं हो तो भी नकारात्मक शक्तियों का प्रवाह रहता है। इन सबसे बचने के लिए भगवान कृष्ण की मूर्ति कमरे में अवश्य रखनी चाहिए। माना जाता है कि कृष्ण गर्भवती महिला और उसके शिशु की रखवाली करते हैं।
– नकारातमकता को दूर रखने और जीवन को सकारात्मक बनाने के लिए तांबे की वस्तु अपने पास रखनी चाहिए।
– सफेद रंग को सुख-समृद्धि और शांति का प्रतीक माना जाता है। ये रंग मानसिक शक्ति को भी तेजी से बढ़ाता है। इस रंग के खिलौने आदि से कमरों को सजाया जा सकता है।
– कमरे में मछली का जोड़ा रखना भी शुभ मान जाता है।


