Pradosh Vrat Katha in Hindi: हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत को बहुत महत्व दिया गया है। यह दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के लिए खास माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन व्रत रखने और पूजा करने से सभी दुखों का नाश होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। इसके साथ ही सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस बार प्रदोष व्रत 13 दिसंबर 2024 को है। इस दिन पूजा के साथ व्रत कथा पढ़ना भी जरूरी होता है, क्योंकि बिना कथा के पूजा अधूरी मानी जाती है। ऐसे में यहां पढ़ें प्रदोष व्रत की संपूर्ण व्रत कथा।

प्रदोष व्रत की कथा (Pradosh Vrat Katha in Hindi)

पौराणिक कथा के अनुसार, काफी समय पहले अंबापुर नामक एक गांव में एक ब्राह्मणी रहती थी, जिसका पति मर चुका था। वह भिक्षाटन करके अपना पेट पालती थी। एक दिन जब वह भिक्षा मांगकर लौट रही थी, तभी रास्ते में दो छोटे बच्चे दिखाई दिए। दोनों बच्चे बहुत दुखी और अकेले थे। ब्राह्मणी ने उन्हें अपने घर लाया और उनका पालन-पोषण करने लगी। कुछ समय बाद, जब बच्चे बड़े हो गए, तब ब्राह्मणी उन्हें ऋषि शांडिल्य के पास ले गई, ताकि वह जान सकें कि ये बच्चे किसके हैं।

ऋषि शांडिल्य ने बताया कि ये बच्चे विदर्भ राज्य के राजकुमार हैं, जिनके राज्य पर गंदर्भ नामक राजा ने हमला किया था और उनका राज छीन लिया था। अब ये बच्चे राज्य से बाहर हो गए थे। ब्राह्मणी ने ऋषि से पूछा कि इन बच्चों को उनका खोया हुआ राज कैसे वापस मिल सकता है। ऋषि ने कहा कि प्रदोष व्रत करने से इन बच्चों की किस्मत बदल सकती है।

ब्राह्मणी और दोनों राजकुमारों ने प्रदोष व्रत श्रद्धा से किया। कुछ समय बाद, राजकुमारों की मुलाकात अंशुमती नामक एक कन्या से हुई। दोनों ने शादी का फैसला किया। अंशुमती के पिता ने राजकुमारों की मदद की और गंदर्भ राजा से युद्ध में उनकी सहायता की। युद्ध में राजकुमारों ने जीत हासिल की और उनका खोया हुआ राज वापस मिल गया। इसके बाद, राजकुमारों ने ब्राह्मणी को सम्मानित किया और उसकी गरीबी दूर हो गई। अब ब्राह्मणी खुशी-खुशी अपना जीवन जीने लगी।

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