Pradosh Vrat in February: हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत की बहुत बड़ी मान्यता है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की अराधना की जाती है। हर महीने की त्रयोदशी तिथि को महिलाएं श्रद्धा भाव से व्रत रख शिव-पार्वती की पूजा-अर्चना करती हैं। फरवरी के महीने में 24 तारीख को प्रदोष व्रत है। इस व्रत के पुण्य से भक्तों के सभी दुख और संकट दूर हो जाते हैं। साथ ही सारे पाप भी धुल जाते हैं। इस दिन जो भी महिला व्रत रखती है, उसे प्रदोष काल में ही भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करनी चाहिए।

प्रदोष व्रत की पूजा करने के बाद आरती का भी विशेष महत्व है। ज्योतिषाचार्यों की मानें तो पूजा के अंत में भगवान शिव और माता पार्वती की आरती करने से सभी मनोकामना पूरी होती हैं।

प्रदोष व्रत का मुहूर्त: 24 फरवरी को शाम 6:05 मिनट पर आरंभ, 25 फरवरी को शाम 5:18 मिनट पर होगा खत्म।

प्रदोष व्रत कथा: मान्यताओं के अनुसार, एक नगर में तीन मित्र रहते थे। राजकुमार, ब्राह्मण कुमार और तीसरा धनिक पुत्र, तीनों में काफी अच्छी मित्रता थी। राजकुमार और ब्राह्मण कुमार विवाहित थे, धनिक पुत्र का भी विवाह हो गया था, लेकिन गौना होना बाकी था। एक दिन तीनों मित्र स्त्रियों की चर्चा कर रहे थे। ब्राह्मण कुमार ने स्त्रियों की प्रशंसा करते हुए कहा- ‘नारीहीन घर भूतों का डेरा होता है।’

ब्राह्मण कुमार की बात सुनकर धनिक पुत्र ने यह सुना तो तुरन्त ही अपनी पत्‍नी को लाने का फैसला लिया। धनिक पुत्र के माता-पिता ने उसे समझाया कि अभी शुक्र देवता डूबे हुए हैं, ऐसे में बहू-बेटियों को उनके घर से विदा करवा लाना शुभ नहीं माना जाता, लेकिन धनिक पुत्र ने एक नहीं सुनी और ससुराल पहुंच गया।

ससुराल में भी उसे मनाने की कोशिश की गई लेकिन वो नहीं माना। जिसके बाद कन्या के माता-पिता को अपनी बेटी की विदाई करनी पड़ी। विदाई के बाद पति-पत्‍नी शहर से निकले ही थे कि बैलगाड़ी का पहिया निकल गया और बैल की टांग टूट गई। दोनों को चोट लगी लेकिन फिर भी वो चलते रहे। कुछ दूर जाने पर डाकू ने उनका धन लूटकर ले गए। दोनों घर पहुंचे, वहां धनिक पुत्र को सांप ने डस लिया। उसके पिता ने वैद्य को बुलाया तो वैद्य ने बताया कि वो तीन दिन में मर जाएगा। जब ब्राह्मण कुमार को यह खबर मिली तो वो धनिक पुत्र के घर पहुंचा और उसके माता-पिता को शुक्र प्रदोष व्रत करने की सलाह दी और कहा कि इसे पत्‍नी सहित वापस ससुराल भेज दें।

धनिक ने ब्राह्मण कुमार की बात मान ली और ससुराल पहुंच गया। पत्नी के व्रत रखने पर धीरे-धीरे उसकी हालात ठीक हो गई। व्रत रखने का यह असर हुआ कि धन-संपदा भी वापस लौट आई।