Pradosh Vrat 2024 Date, Time, Muhurat And Katha, Shani Pradosh Vrat Kab Hai: हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। पंचांग के अनुसार, हर मास के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। हर एक प्रदोष व्रत का अपना-अपना महत्व है। ऐसे ही भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को प्रदोष व्रत रखा जा रहा है। शनिवार के दिन पड़ने के कारण इसे शनि प्रदोष व्रत रखा जाएगा। माता पार्वती और शिव जी को समर्पित इस व्रत में काफी शुभ योग बन रहे हैं। ऐसे में पूजा करने से कई गुना अधिक फलों का प्राप्ति होगी। आइए जानते हैं भाद्रपद मास के पहले यानी शनि प्रदोष का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और मंत्र…
शनि प्रदोष व्रत 2024 तिथि और शुभ मुहूर्त (Shani Pradosh Vrat 2024 Date And Muhurat)
भाद्रपद कृष्ण त्रयोदशी तिथि आरंभ: 31 अगस्त, शनिवार, सुबह 02:25 बजे से
भाद्रपद कृष्ण त्रयोदशी तिथि का समापन- 1 सितंबर, रविवार को सुबह 03:40 बजे
शनि प्रदोष व्रत तिथि- प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल के समय होती है। इसलिए शनि प्रदोष व्रत 31 अगस्त 2024 को है।
शनि प्रदोष पूजा मुहूर्त: शाम 06:43 बजे से रात 08:59 बजे तक
शनि प्रदोष व्रत पर बन रहे शुभ योग (Shani Pradosh Vrat 2024 Shubh Yog)
भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाले प्रदोष व्रत में कई शुभ योग और नक्षत्र बन रहे हैं। ऐसे में शिव की पूजा करने से कई गुना अधिक फलों की प्राप्ति होगी।
परिघ योग: शाम 05:39 बजे से अगले दिन शाम 05:50 बजे तक
पुष्य नक्षत्र: 30 अगस्त को शाम 05:55 से Aug 31 को शाम 07:39 तक
शनि प्रदोष व्रत का पारण (Shani Pradosh Vrat 2024 Paran Time)
शास्त्रों के अनुसार, व्यक्ति को व्रत रखने के बाद पारण अवश्य करना चाहिए। ऐसा करने के बाद ही पूजा का पूरा फल मिलता है। बता दें कि शनि प्रदोष व्रत का पारण 1 सितंबर को सुबह 05:59 बजे के बाद कभी भी कर सकते हैं।
शनि प्रदोष व्रत पूजा विधि (Shani Pradosh Vrat 2024 Puja Vidhi)
शनि प्रदोष व्रत के दिन सूर्योदय से पहले उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें और साफ सुथरे वस्त्र धारण कर लें। इसके बाद हाथों में फूल और अक्षत लेकर शिव जी के सामने व्रत का संकल्प लें। इसके बाद फूल-अक्षत को मूर्ति को अर्पित कर दें। इसके बाद शिवलिंग में जल, बेलपत्र, दूध आदि चढ़ा दें। फिर दिनभर व्रत रखें। शाम को प्रदोष काल में एक लकड़ी की चौकी या फिर पूजा घर में ही मूर्ति या तस्वीर रखकर पूजा आरंभ करें। अगर शिवलिंग है, तो एक पात्र में रख लें या फिर आप किसी मंदिर में जा सकते हैं। इसके बाद शिवलिंग में जल, गंगाजल, दूध, दही, शहद, शक्कर और शुद्ध जल चढ़ाएं। इसके बाद बेलपत्र, फूल, माला, भांग, धतूरा, नैवेद्य, आक का फूल, शमी पत्र आदि चढ़ाने के बाद सफेद चंदन का तिलक लगाएं। इसके बाद भोग लगाएं। बग लगाने के बाद घी का दीपक और धूप जलाकर पंचाक्षर मंत्र ओम नमः: शिवाय: मंत्र को बोलें। इसके साथ ही प्रदोष व्रत कथा , शिव चालीसा, शिव आरती करने के बाद भूल चूक के लिए माफ़ी मांग लें। अगले दिन सुबह स्नान आदि करने के बाद शिव जी की पूजा करने के साथ दान आदि कर लें। इसके बाद अपने व्रत का पारण कर दें।
प्रदोष व्रत मंत्र (Shani Pradosh Vrat 2024 Mantra)
प्रदोष व्रत के दौरान शिव जी के इन मंत्रों का जाप करें।
महामृत्युंजय मंत्र
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्
शिव स्तुति मंत्र
द: स्वप्नदु: शकुन दुर्गतिदौर्मनस्य, दुर्भिक्षदुर्व्यसन दुस्सहदुर्यशांसि। उत्पाततापविषभीतिमसद्रहार्ति, व्याधीश्चनाशयतुमे जगतातमीशः
शिव गायत्री मंत्र
ऊँ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि, तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्
ॐ नमः शिवाय
भगवान शिव का मूल मंत्र
ॐ गौरीशंकरार्धनाथ्री नमः
भगवान शिव की आरती (Shiv Aarti)
जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव…॥
एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव…॥
दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव…॥
अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ।
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव…॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव…॥
कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव…॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव…॥
काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव…॥
त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे ।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ जय शिव…॥
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