Pradosh Vrat: हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। पंचांग के अनुसार यह व्रत हर महीने त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। वहीं आपको बता दें कि हर महीने में दो प्रदोष व्रत आते हैं। मान्यता है जो भी व्यक्ति इस दिन व्रत रखकर मां पार्वती और महादेव की आराधना करते हैं। उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। वहीं इस व्रत के प्रभाव से सुहागिनों को अखंड सौभाग्यवती का वरदान, संतान संबंधी परेशानी दूर होती है। वहीं मई महीने का प्रदोष व्रत 05 मई को रखा जाएगा। इस बार प्रदोष व्रत रविवार को है तो इसे रवि प्रदोष कहा जाएगा। आइए जानते तिथि, पूजा-विधि और महत्व…
प्रदोष व्रत तिथि (Pradosh Vrat Tithi)
पंचांग के मुताबिक 5 मई रविवार को शाम 05 बजकर 42 मिनट से वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि आरंभ हो जाएगी। साथ ही यह तिथि 6 मई सोमवार को दोपहर 02 बजकर 41 मिनट पर समाप्त हो रही है। वहीं शास्त्रों के अनुसार प्रदोष व्रत की पूजा शाम के समय की जाती है। इसलिए प्रदोष व्रत 5 मई को ही रखा जाएगा।
प्रदोष व्रत पूजा मुहूर्त
वहीं रवि प्रदोष व्रत वाले दिन भोलेनाथ की पूजा का शुभ समय शाम 06 बजकर 58 मिनट से शुरू होकर रात 09 बजकर 05 मिनट तक रहेगा। इस समय में आप भगवान शिव की पूजा- अर्चना कर सकते हैं।
प्रदोष व्रत की पूजा विधि
प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठ जाएं और साफ- सुथरे कपड़े पहनें। इसके बाद पूजा स्थल की सफाई कर लें। वहीं पूजा की चौकी पर भगवान शिवलिंग को स्थापित कर लें। इसके बाद धूप अगरबत्ती जला लें। वहीं फिर गंगा जल, शहद,दूध और दही से शिव का अभिषेक करें। भगवान शिव को अक्षत, धूप, दीप और फूल अर्पित करें और मीठे और फल का भोग लगाएं। फिर शमी के पत्ते, बेलपत्र, रुद्राक्ष आदि चढ़ाएं। इसके बाद भगवान शिव की आरती करें और प्रसाद घर के सभी सदस्यों में बांट दें।
रवि प्रदोष व्रत का महत्व
इस दिन आराधना करने से भगवान शिव प्रसन्न होकर होते हैं। साथ ही शिव जी के आशीर्वाद से धन, संपत्ति, यश, कीर्ति की प्राप्ति होती है। वहीं इस दिन जो व्यक्ति भोलेनाथ के साथ- साथ सूर्य देव की आराधना करता है। उसके सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं। वहीं रवि प्रदोष व्रत रखने से व्यक्ति को आरोग्य की प्राप्ति होती है।