शास्त्रों में प्रदोष व्रत को सभी व्रतों में सर्वश्रेष्ठ बताया गया है। प्रदोष व्रत का संंबंध भगवान शिव से है। यह व्रत त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। भादो का पहला प्रदोष व्रत बुधवार, 24 अगस्त को रखा जाएगा। इस दिन लोग व्रत रखते हैं और माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा की जाती है। इन दिन भोलेनाथ की पूजा- अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। आइए जानते हैं पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व…
पूजा का शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि बुधवार 24 अगस्त को सुबह 08 बजकर 31 मिनट से आरंभ होकर अगले दिन गुरुवार, 25 अगस्त को सुबह 10 बजकर 38 मिनट तक रहेगी। प्रदोष व्रत 24 अगस्त को ही रखा जाएगा। वहीं कुछ लोग उदयातिथि को आधार बनाकर 25 अगस्त को व्रत रख सकते हैं। बुध प्रदोष व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त 24 अगस्त शाम 06 बजकर 51 मिनट से रात 09 बजकर 05 मिनट तक रहेगा।
जानिए क्या है महत्व
प्रदोष व्रत का संबंध भोलेनाथ से है। प्रदोष व्रत में पूजा का दोगुना फल प्राप्त होता है। भगवान शिव की पूजा करने से आरोग्य की प्राप्ति होती है। अगर संतान का योग नहीं बन रहा हो तो वो लोग भी इस व्रत को रख सकते हैं। इस व्रत को रखने से जन्म कुंडली में चंद्र की स्थिति भी मजबूत होती है। जिससे व्यक्ति की मानसिक स्थिति बेहतर होती है। साथ ही जिन लोगों की कुंडली में चंद्र ग्रह नकारात्मक स्थित हैं वो लोग भी प्रदोष व्रत रख सकते हैं।
जानिए पूजा- विधि
प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठ जाएं। स्नान करने के बाद साफ- स्वच्छ वस्त्र पहनें। प्रदोष व्रत के दिन सूर्यास्त से 45 मिनट पहले और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक भगवान शिव की पूजा का विधान होता है। इस दिन शिव मंदिर जाकर शिवलिंग का दूध और शहद से अभिषेक करें। भगवान शिव को फूल, फल, धतूरा, बेलपत्र और मिठाई अर्पित करें। इसके बाद प्रदोष व्रत कथा का पाठ करें, आरती करें। फिर भगवान का प्रसाद वितरण करें। संभव हो तो दिन में आहार न लें। अगर नहीं रह सकते तो फलाहार ले सकते हैं।