प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा की जाती है। अगला प्रदोष व्रत 30 अगस्त, रविवार को है। हिन्दू पंचांग के मुताबिक महीने में दो बार त्रयोदशी तिथि आती है। एक बार कृष्ण पक्ष में और एक बार शुक्ल पक्ष में त्रयोदशी होती है। इसी दिन भगवान शंकर की पूजा की जाती है। त्रयोदशी को भगवान शिव की आराधना का दिन माना जाता है। कहते हैं जो इस दिन भगवान शिव की आराधना करते हैं। उनके सभी दुख दूर होते हैं। उन्हें कोई चिंता या भय नहीं सता पाते हैं। भगवान शिव के प्रदोष व्रत को बहुत चमत्कारी माना गया है।
इस दिन भगवान शिव की पूजा अनेकों गुना अधिक फल देने वाली होती है। कहते हैं कि प्रदोष व्रत में रुद्राष्टकम का पाठ करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। गोस्वामी तुलसी दास जी की लिखा हुआ रुद्राष्टकम भक्ति को बढ़ाने वाला माना गया है। माना जाता है कि रुद्राष्टकम का पाठ तुरंत फल देने वाला है। इतना अधिक प्रभावशाली है कि जो कोई भी मनुष्य भगवान शिव को सच्चे मन से याद कर इस पाठ को पढ़ता या सुनता है। भगवान शिव की कृपा से उसके सारे काम बनते हैं। साथ ही सभी इच्छाएं भी पूरी होती हैं।
शिव रुद्राष्टकम (Shiv Rudraashtakam/ Rudrashtakam):
नमामीशमीशान निर्वाण रूपं, विभुं व्यापकं ब्रह्म वेदः स्वरूपम्।
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं, चिदाकाश माकाशवासं भजेऽहम्॥
निराकार मोंकार मूलं तुरीयं, गिराज्ञान गोतीतमीशं गिरीशम्।
करालं महाकाल कालं कृपालुं, गुणागार संसार पारं नतोऽहम्॥
तुषाराद्रि संकाश गौरं गभीरं, मनोभूत कोटि प्रभा श्री शरीरम् ।
स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारू गंगा, लसद्भाल बालेन्दु कण्ठे भुजंगा॥
चलत्कुण्डलं शुभ्र नेत्रं विशालं, प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम्।
मृगाधीश चर्माम्बरं मुण्डमालं, प्रिय शंकरं सर्वनाथं भजामि॥
प्रचण्डं प्रकष्टं प्रगल्भं परेशं, अखण्डं अजं भानु कोटि प्रकाशम्।
त्रयशूल निर्मूलनं शूल पाणिं, भजेऽहं भवानीपतिं भाव गम्यम्॥
कलातीत कल्याण कल्पान्तकारी, सदा सच्चिनान्द दाता पुरारी।
चिदानन्द सन्दोह मोहापहारी, प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी॥
न यावद् उमानाथ पादारविन्दं, भजन्तीह लोके परे वा नराणाम्।
न तावद् सुखं शांति सन्ताप नाशं, प्रसीद प्रभो सर्वं भूताधि वासं॥
न जानामि योगं जपं नैव पूजा, न तोऽहम् सदा सर्वदा शम्भू तुभ्यम्।
जरा जन्म दुःखौघ तातप्यमानं, प्रभोपाहि आपन्नामामीश शम्भो॥
रूद्राष्टकं इदं प्रोक्तं विप्रेण हर्षोतये।
ये पठन्ति नरा भक्तयां तेषां शंभो प्रसीदति॥
॥इति श्रीगोस्वामीतुलसीदासकृतं श्रीरुद्राष्टकं सम्पूर्णम्॥
प्रदोष व्रत का महत्व- कहा जाता है कि प्रदोष व्रत रखने वालों पर सूर्य और भगवान शिव की कृपा हमेशा बनी रहती है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, जिन जातकों की कुंडली में सूर्य कमजोर होता है। उनके लिए यह व्रत लाभकारी होता है। इस व्रत को रखने वाले लोग निरोगी होते हैं।मान्यता है कि प्रदोष व्रत की विधि-विधान से पूजा करने पर भगवान शिव का आशीर्वाद मिलने के अलावा मनचाहा वरदान भी प्राप्त होता है।