Pradosh Vrat 2020: हर महीने में दो प्रदोष व्रत आते हैं। जिसमें भगवान शिव की पूजा की जाती है। दक्षिण भारत में प्रदोष व्रत को प्रदोषम के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से समस्त बाधाएं दूर हो जाती हैं और भगवान शिव की विशेष कृपा भी प्राप्त होती है। प्रदोष व्रत के दिन कुछ विशेष उपायों को करके चंद्रग्रहण के बुरे प्रभावों से बचा जा सकता है। बुध प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति के बुध और चंद्रमा ग्रह मजबूत होते हैं।

बुध प्रदोष व्रत के लाभ: किसी भी प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा सूर्यास्त से 45 मिनट पूर्व शुरू होकर सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक की जाती है। जब प्रदोष व्रत बुधवार को आता है तो उसे बुध प्रदोष व्रत कहा जाता है। इस दिन व्रत रखने से धन की वृद्धि होती है और सभी रोग, शोक, कलह, क्लेश हमेशा के लिए खत्म हो जाते हैं। शाम के समय प्रदोष काल में शिवलिंग पर जल मिला हुआ कच्चा दूध चढ़ाएं और तिल के तेल का चौमुखा दीया भगवान शिव के सामने जलायें। इससे भविष्य में आने वाले संकटों से मुक्ति मिल जाने की मान्यता है।

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प्रदोष व्रत का महत्व: इस दिन भगवान महादेव की पूजा होती है। प्रदोष व्रत रखने से मनुष्य के सभी पाप धुल जाते हैं। पौराणिक कथा अनुसार चंद्रमा को क्षय रोग था, जिसके चलते उसे काफी कष्ट हो रहा था। भगवान शिव ने चंद्रमा के इस दोष का निवारण कर त्रोदशी के दिन पुन: जीवन प्रदान किया।

भगवान शिव को ऐसे करें प्रसन्न: भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए इस दिन उनकी विशेष पूजा करें। इसके लिए महादेव को इस दिन चंदन, अक्षत, बिल्व पत्र, धतूरा, दूध, गंगाजल जरूर अर्पित करें। मान्यता है कि भगवान शिव को ये चीजें अर्पित करने से वह जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं। शिव शंकर को भोग स्वरूप घी, शक्कर, गेहूं के आटे से बना प्रसाद चढ़ाएं। संभव हो तो इस दिन महामृत्युंजय मंत्र का 108 बार जाप जरूर करें। ऐसा करने से भगवान शिव की भक्तों पर विशेष कृपा होती है। इस विधि से शिव की पूजा करने से आगामी चंद्र ग्रहण के बुरे प्रभावों से भी बचा जा सकता है।