PM Modi Visits Mukhba Temple Uttarakhand: उत्तराखंड का एक छोटा सा लेकिन बेहद खास गांव मुखवा इन दिनों सुर्खियों में है। मुखवा गांव को ऋषि मतंग की भूमि भी कहा जाता है। बता दें कि आज यानी 6 मार्च 2025 को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस गांव का दौरा किया। यह स्थान कई मायनों में बेहद खास माना जाता है। इसकी पहचान गंगा माता के शीतकालीन निवास के रूप में भी होती है। मान्यता है कि जब गंगोत्री धाम बर्फ से ढक जाता है, तब गंगा माता की मूर्ति को मुखवा मंदिर में लाया जाता है। यही वजह है कि इसे गंगा माता का मायका भी कहा जाता है। ऐसे में आइए जानते हैं कहां स्थित है मुखवा मंदिर और जानिए इस मंदिर का धार्मिक महत्व।
कहां है मुखवा गांव?
मुखवा, उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में हर्षिल वैली के पास बसा एक सुंदर पहाड़ी गांव है। गंगा नदी के किनारे स्थित यह गांव अपने धार्मिक महत्व के कारण खास पहचान रखता है। इसे मुखीमठ के नाम से भी जाना जाता है। ऋषि मतंग ने यहां कठोर तपस्या की थी, इसलिए इसे उनकी भूमि भी कहा जाता है। आपको बता दें कि यह समुद्रतल से लगभग 8000 फीट ऊंचाई पर है।
क्यों प्रसिद्ध है मुखवा मंदिर?
मुखवा को मां गंगा का शीतकालीन निवास कहा जाता है। हर साल सर्दियों की शुरुआत में गंगोत्री धाम के कपाट बंद होने के बाद गंगा माता की मूर्ति को मुखवा लाया जाता है। इस दौरान गांव में भक्तों का जमावड़ा लगता है और पूरे इलाके में उत्सव जैसा माहौल रहता है। लोग दूर-दूर से यहां दर्शन करने आते हैं।
धार्मिक मान्यताएं
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मुखवा में गंगा माता की पूजा करने से जीवन में सुख-शांति बनी रहती है। मान्यता है कि इस मंदिर में आकर श्रद्धा से प्रार्थना करने वालों को पारिवारिक सुख और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। गंगोत्री के कपाट बंद होने के बाद भी लोग यहां आकर गंगा आरती और विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है।
कैसे पहुंचे मुखवा मंदिर?
सड़क मार्ग – दिल्ली से ऋषिकेष – उत्तरकाशी – हर्षिल होते हुए मुखवा पहुंचा जा सकता है। कुल दूरी करीब 480 किमी है, जिसे 12 घंटे में आप तय कर सकते हैं।
रेल और हवाई मार्ग – नजदीकी रेलवे स्टेशन और हवाई अड्डा देहरादून है। वहां से ऋषिकेष और फिर सड़क मार्ग से मुखवा आ सकते हैं।
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