Chaturdashi Shraddha 2019: 28 सितंबर को पितृ पक्ष खत्म हो जायेगा फिर इसके अगले दिन से नवरात्रि महापर्व शुरू होगा। पितृ पक्ष के आखिरी दिन पितृमोक्ष अमावस्या होती है और उससे एक दिन पहले चतुर्दशी श्राद्ध किया जाता है। ये तिथि अकाल मृत्यु को प्राप्त लोगों के श्राद्ध के लिए होती है। साथ ही इस दिन उन लोगों का भी श्राद्ध किया जाता है जिसकी मृत्यु समय से पहले हो गई हो।
इस तिथि के बारे में महाभारत में भी बताया गया है। अनुशासन पर्व में भीष्म पितामह ने युधिष्ठिर को बताया था कि जिन लोगों की मृत्यु अकाल हुई है उनका श्राद्ध पितृ पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर ही करना चाहिए। इस तिथि पर स्वाभाविक रूप से मृत लोगों का श्राद्ध करने से श्राद्ध करने वाले व्यक्ति को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। कूर्मपुराण में भी बताया गया है कि चतुर्दशी पर स्वाभाविक रूप से मृत लोगों का श्राद्ध करना संतान के अच्छा नहीं होता है। पितृ पक्ष की चतुर्दशी तिथि को किसी दुर्घटना में मृत व्यक्ति का, आत्महत्या करने वाले लोग, जिनकी हत्या हुई हो, शस्त्रों की वजह से मृत व्यक्ति का श्राद्ध किया जाता है।
श्राद्ध विधि (Shradh Vidhi At Home) :
घर पर श्राद्ध करने के लिए इस दिन किसी ब्राह्मण को बुला लें। क्योंकि ऐसा माना जाता है कि ब्रह्मणों को भोजन कराने से पितरों की आत्मा को शांति मिल जाती है। श्राद्ध वाले दिन सुबह जल्दी उठकर देव स्थान व पितृ स्थान को साफ कर लें। और पितरों के लिए भोजन तैयार करें। जिस व्यक्ति का श्राद्ध करने जा रहे हैं तो उनकी पसंद की चीजें बनाना ज्यादा अच्छा रहेगा। भोजन के बाद पितरों के निमित्त अग्नि में गाय का दूध, दही, घी और खीर अर्पित करें। ध्यान रखें कि श्राद्ध दोपहर के समय किया जाता है। अब बनाए हुए भोजन में से चार ग्रास निकालें। गाय, कौए, कुत्ते को खाना डालने के बाद अतिथि यानी घर आए ब्राह्मण को खाना परोसें। ब्राह्मण को आदरपूर्वक भोजन कराएं, मुखशुद्धि, वस्त्र, दक्षिणा आदि से सम्मान करें। घर में किए गए श्राद्ध का पुण्य तीर्थ-स्थल पर किए गए श्राद्ध से आठ गुना अधिक मिलता है।