हिंदू धर्म में होने वाले तमाम पूजा-पाठ में भगवान को भोग लगाना जरूरी माना गया है। कहते हैं कि भगवान को भोग लगाने से वे काफी प्रसन्न होते हैं। और अपने भक्त की सभी मनोकामनाओं को पूरा करते हैं। साथ ही भगवान विशेष को उनकी पसंद के अनुसार भोग लगाना बेहतर माना गया है। जैसे कि गणेश जी को भोग में मोदक और खीर पसंद है। जबकि हनुमान जी को भोग में बेसन का लड्डू और इमरती पसंद है। मालूम हो कि भगवान का भोग बनाते समय कुछ खास बातों का ध्यान रखने के लिए कहा गया है। जैसे कि भोग बनाते समय भक्त को चुप रहना चाहिए। चलिए जानते हैं कि ऐसा क्यों कहा जाता है। और भोग बनाते समय बात करने से क्या हानि होने की मान्यता है।
ऐसा कहा गया है कि भगवान का भोग बनाते समय बातचीत करने से मुंह के कुछ कण रसोई में गिरते हैं। इससे भोग अपवित्र हो जाता है। भोग जूठा हो जाता है। भगवान को अपवित्र भोग लगाने की मनाही है। माना जाता है कि भगवान को अपवित्र भोग लगाने से कोई लाभ नहीं मिलता। बल्कि, भगवान इससे नाराज भी हो सकते हैं। ऐसे में आपके जीवन की समस्याएं नहीं दूर हो पाएंगी। और आपका जीवन कष्टों में ही बीतेगा।
भगवान को भोग बनाने की एक खास विधि बताई गई है। इसके अनुसार भक्त को भोग बनाने से पहले स्नान जरूर कर लेना चाहिए। इसके बाद रसोई की गंगा जल से सफाई करनी चाहिए। और फिर भोग बनाते समय किसी से बातचीत नहीं करनी चाहिए। साथ ही इस दौरान मन में भगवान के प्रति आस्था भाव होना जरूरी है। भगवान को जिस पात्र में भोग परोसें, वह अत्यन्त साफ-सुथरा होना चाहिए। और बड़े ही प्रेम से इस कार्य को समाप्त करें। इस विधि का पालन करने से भगवान का आशीर्वाद मिलने की बात कही गई है।