ज्योतिष में 9 ग्रहों का वर्णन मिलता है। इन 9 ग्रहों के अलग- अलग कारकत्व हैं और सबके अपने- अपने विभाग नियुक्त हैं। शनि देव को कर्मफल दाता और न्याय का देवता कहा जाता है। मान्यता है शनि देव कर्मों के अनुसार फल देते हैं। वहीं शनि का नाम सुनकर लोग भय में पड़ जाते हैं। लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है क्योंकि शनि व्यक्ति को वैसे ही फल प्रदान करते हैं, जैसा वह कर्म करता है। यानी अच्छे कर्मों का अच्छा फल और बुरे कर्मों का बुरा फल। 

आपको बता दें कि कुंडली में शनि की अगर स्थिति सही है मतलब सकारात्मक है, तो भी शनि देव अच्छा फल देते हैं और इंसान के सारे काम बनते चले जाते हैं। उसके किसी भी काम में रुकावट नहीं आती है। वहीं अगल कुंडली में शनि नकारात्मक विराजमान हैं, तो इंसान को मुसीबतों का सामना करना पड़ता है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि इस साल किन राशि के लोगों पर पर शनि ढैय्या शुरू होने वाली है।

कर्क और वृश्चिक राशि पर शुरू होगा ढैय्या का प्रभाव:

वर्तमान में शनि मकर राशि में संचार कर रहे हैं। इस दौरान मिथुन और तुला राशि के जातकों पर शनि ढैय्या चल रही है। वहीं 29 अप्रैल से शनि कुंभ राशि में राशि परिवर्तन करने जा रहे हैं। शनि के इस राशि में गोचर शुरू करते ही मिथुन और तुला वालों को शनि ढैय्या से मुक्ति मिल जाएगी। वहीं कर्क और वृश्चिक राशि वाले इसकी चपेट में आ जाएंगे। आपको बता दें शनि ढैय्या की अवधि ढाई साल की होती है।

जानिए क्या होती है साढेसाती और ढैय्या:

वैदिक ज्योतिष के अनुसार शनि साढ़ेसाती के तीन चरण होते हैं, जिसमें हर चरण का समय ढाई साल का होता है। जातक को इसके पहले चरण में मानसिक और आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है और मान्यता है कि शनिदेव उसके मुख पर विराजमान रहते हैं, जिससे उसको नाक, आंख, कान, दिमाग और मुख से संबंधित रोग हो सकते हैं। वहीं दूसरे चरण में मानसिक, आर्थिक के साथ शारीरिक कष्टों का भी सामना करना पड़ता है और तीसरे चरण में कष्ट कुछ कम होने लगते हैं। मान्यता है उतरती हुई साढ़ेसाती के दौरान कुछ न कुछ लाभ प्राप्त होने के भी आसार रहते हैं।

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