ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को सबसे महत्वपूर्ण ग्रह माना जाता है। सूर्य के बाद सर्वाधिक महत्ता चंद्रमा को दी गई है। ज्योतिष में चंद्रमा के बिना कोई भी गणना नहीं की जा सकती है। व्यक्ति के मन और भावनाओं का संबंध चंद्रमा से बताया गया है। कहा जाता है कि जो व्यक्ति अपनी कुंडली में चंद्रमा को नियंत्रित रखता है उसकी मानसिक स्थित बहुत मजबूत होती है। व्यक्ति को निर्णय लेने में आसानी होती है। भगवान शंकर और चंद्रमा का आपस में गहरा नाता बताया गया है। माना जाता है कि शंकर जी की पूजा-अर्चना करने से कुंडली में चंद्रमा की स्थिति मजबूत बनी रहती है। क्या आप जानते हैं कि चंद्रमा की दशा कमजोर होने से जीवन में क्या दिक्कतें आती हैं? यदि नहीं तो चलिए इस बारे में जानते हैं।
केमद्रुम योग: केमद्रुम योग कुंडली में बनने वाला एक खास योग है। यह चंद्रमा के कमजोर होने पर बनता है। ऐसी दशा में व्यक्ति को मानसिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। व्यक्ति मानसिक रोग का भी शिकार हो सकता है। इससे मिर्गी आने की बात भी कही गई है।
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ग्रहण योग: कुंडली में चंद्रमा और राहु के योग से ग्रहण योग बनता है। इस दशा में व्यक्ति को मन से जुड़ी समस्याएं होती हैं। व्यक्ति अलग-अलग तरह की कल्पनाएं करके परेशान होता रहता है। इससे दूसरों से रिश्ते भी खराब हो जाते हैं। व्यक्ति खुद को अकेला महसूस करने लगता है।
नीच का चंद्रमा: चंद्रमा वृश्चिक राशि में नीच का होता है। कहा जाता है कि ऐसी स्थिति में मन बहुत संवेदनशील हो जाता है। साथ ही तनाव का भी सामना करना पड़ता है। बात-बात पर उस शख्स की भावनाएं आहत होने लगती हैं। माता से रिश्ता बिगड़ने की बात भी कही गई है।


