साल 2019 का दूसरा चंद्र ग्रहण 16 जुलाई की रात को लगने जा रहा है। यह आंशिक चंद्र ग्रहण होगा। इस दौरान ग्रहों की जो स्थिति बन रही है, कहा जा रहा है कि ऐसी स्थिति 149 साल पहले बनी थी। अकसर चंद्र ग्रहण को लेकर बहुत सी बातें कही जाती हैं कि चंद्र ग्रहण को नंगी आंखों से नहीं देखना चाहिए, खाना नहीं खाना, पूजा पाठ नहीं करना चाहिए इसी तरह के बहुत से कार्यों को करने के लिए मना किया जाता है। इन सब कार्यों की मनाही के पीछे कई धार्मिक कारण छिपे हैं। लेकिन विज्ञान इन सब बातों को लेकर क्या कहता है जानिए यहां…

1. ऐसा माना जाता है कि चंद्र ग्रहण को नंगी आंखों से नहीं देखना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से ग्रहण की हानिकारक किरणें आपकी आंखों को नुकसान पहुंचा सकती हैं और ऐसा हकीकत में भी होता है। ग्रहण की किरणें आंखों को बहुत हानि पहुंचा सकती हैं। विज्ञान भी इस बात से कभी इनकार नहीं करता है। लेकिन आजकल इतनी सारी खोज होने के बाद बहुत से ऐसे चश्मे बन चुके हैं, जिन्हें पहनकर आप ग्रहण को देख सकते हैं।

2. ऐसी भी मान्यता है कि ग्रहण के समय कुछ भी खाना या पीना नहीं चाहिए। क्योंकि ग्रहण की किरणें खाने को अशुद्ध बना सकती हैं, जिसके कारण अपच या फिर कोई बीमारी हो सकती है। लेकिन इस बारे में हुई खोज बताती हैं कि ये सब सिर्फ अंधविश्वास है। ऐसा कोई भी सबूत नहीं है जो इस बात को साबित कर सके कि ग्रहण के समय खाना खाने से या फिर कुछ पीने से बीमारी लगती है।

3. कई लोग ये भी मानते हैं कि ग्रहण के समय गर्भवती महिलाओं को सबसे ज़्यादा ख्याल रखना पड़ता है। यहां तक कि उन्हें घर से बाहर जाने कि भी अनुमति नहीं होती है। क्योंकि ग्रहण की किरणें गर्भ में पल रहे बच्चे को बीमार कर सकती है या तो फिर उसे विकलांग या किसी प्रकार का विकार दे सकती हैं। लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि इस बात में कोई भी सच्चाई नहीं है। गर्भवती महिलाएं घर से बाहर भी निकल सकती हैं और ग्रहण को देख भी सकती है।

4. अनेक लोगों के मत के अनुसार अगर आप अपने आप को ग्रहण के दौरान कहीं पर काट लेते हो या फिर कहीं छोटा मोटा कट भी लग जाता है तो उससे निकलने वाले खून को सूखने में साधारण से ज़्यादा समय लगता है और चोट ठीक होने में भी काफी समय लगाएगी। यहां तक कि उस चोट का निशान भी ज़िन्दगी भर के लिए नहीं हटेगा। लेकिन विज्ञान इ बातों को नहीं मानता।

5. सभी लोग मानते हैं कि ग्रहण के तुरन्त बाद नहाना ज़रूरी होता है क्योंकि वो मानते हैं कि ऐसा करने से ग्रहण के कारण आई सारी नकारात्मक शक्तियां हट जाती हैं। लेकिन इस बात के बारे में कोई भी ध्यान नहीं देता कि जिस पानी से वह नहाने लगे हैं क्या वो पानी ग्रहण के प्रभाव में नहीं आया होगा, तो वो शुद्ध कैसे हुआ? इस बात को भी विज्ञान द्वारा झुटला दिया गया है। क्योंकि इस बात के पीछे ज़रा सी भी सच्चाई नहीं है।