Param Ekadashi Vrat Katha/ Param Ekadashi 2020 : इस साल अधिक मास में परम एकादशी व्रत 13 अक्तूबर, मंगलवार के दिन किया जाएगा। यह व्रत पूर्ण रूप से भगवान विष्णु को समर्पित होता है। माना जाता है कि अधिक मास में की जाने वाली एकादशी के व्रत का फल भी अधिक मिलता है। इसलिए कहते हैं कि सभी वैष्णवों यानी भगवान विष्णु या उनके अवतारों को अपना स्वामी मानने वालों को परम एकादशी व्रत जरूर करना चाहिए। एकादशी व्रत रखकर इसकी व्रत कथा जरूर पढ़नी चाहिए।
परम एकादशी कथा (Param Ekadashi Katha)
काम्पिल्य नगर में एक सुमेधा नाम का ब्राह्मण रहता था। वो और उसकी पत्नी मिलकर अतिथियों का बहुत स्वागत-सत्कार किया करते थे। उनके पास धन की कमी थी। इसके बावजूद भी दोनों खुद भोजन न करके भी अतिथियों की सेवा किया करते थे। दोनों की ही अतिथ्य सत्कार में बहुत विश्वास था।
एक दिन ब्राह्मण ने अपनी पत्नी से कहा कि धन की कमी होने की वजह से हम आतिथ्य सत्कार नहीं कर पाते हैं। इसलिए मैं शहर जाता हूं और वहां से कुछ पैसे कमा कर लाता हूं। इस पर पत्नी ने कहा कि व्यक्ति की किस्मत में लिखा होता है उसे उतने ही धन और वस्तुओं की प्राप्ति होती है। अगर ईश्वर को कुछ देना होगा तो वह घर बैठे बिठाए भी दे देगा।
ब्राह्मण ने स्त्री की बात मानकर वहीं रहना तय किया। कुछ दिनों बाद नगर में ऋषि कौण्डिल्य आए। उन्हें देखकर ब्राह्मण और ब्राह्मणी अत्यंत प्रसन्न हुए और उन्हें अपने घर लेकर आए। ऋषि कौण्डिल्य की सेवा करने के बाद दोनों ने उनसे पूछा कि कोई उपाय बताइए जिससे हमारी गरीबी दूर हो।
इस सवाल के जवाब में ऋषि कौण्डिल्य ने बताया कि अधिक मास के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी तिथि यानी परम एकादशी के दिन व्रत करने से दरिद्रता नष्ट होती है और भाग्योदय होता है। इसलिए आप दोनों भी परम एकादशी का व्रत कीजिए।
ऋषि कौण्डिल्य के कहे अनुसार पति-पत्नी ने विधि-विधान से परम एकादशी का व्रत किया। इस व्रत के प्रभाव से ब्राह्मण के घर की दरिद्रता दूर हुई और उसको अपार संपत्ति की प्राप्ति हुई। इसके बाद उन दोनों ने सत्कर्म करते हुए अपना जीवन व्यतीत किया और अंत में भगवान विष्णु के बैकुंठ लोक गए।