Papankusha Ekadashi 2025: आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को पापांकुशा एकादशी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करने के साथ व्रत रखने का विधान है। मान्यताओं के अनुसार, इस दिन जो साधक व्रत रखता है तो वह हर एक दुख-दर्द, रोग-दोष से निजात पा लेता है और इस लोक में सुख भोग कर मृत्यु के बाद स्वर्गलोक की प्राप्ति करता है। इस साल एकादशी तिथि दो दिन होने के कारण पापांकुशा एकादशी (Papankusha Ekadashi 2025) की तिथि को लेकर काफी असमंजस की स्थिति बनी हुई है। आइए जानते हैं पापांकुशा एकादशी की सही तिथि, मंत्र, पूजा विधि से लेकर पारण का समय तक…
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कब है पापांकुशा एकादशी 2025? (Papankusha Ekadashi 2025 Date)
आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि आरंभ: 2 अक्टूबर 2025 को शाम 07:11 बजे
आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि समाप्त- 3 अक्टूबर 2025 को शाम 06:33 बजे
पापांकुशा एकादशी 2025 तिथि- 3 अक्टूबर 2025
पापांकुशा एकादशी 2025 व्रत का पारण का समय (Papankusha Ekadashi 2025 Paran Time)
पापांकुशा एकादशी व्रत का पारण 4 अक्टूबर 2025 को सुबह 06:23 बजे से 08:44 बजे तक है।
हरि वासर आंरभ- 4 अक्टूबर को सुबह 12 बजकर 12 मिनट तक
हरि वासर समाप्त- 4 अक्टूबर को सुबह 5 बजकर 09 मिनट तक
पापांकुशा एकादशी 2025 पूजा विधि (Papankusha Ekadashi 2025 Puja Vidhi)
पापांकुशा एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्यकर्मों से निवृत्त होकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद श्री हरि विष्णु की पूजा आरंभ करें। सबसे पहले भगवान विष्णु का पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और मिश्री) से अभिषेक करें। फिर उन्हें फूल, माला, पीला चंदन, अक्षत आदि अर्पित करें और तुलसी दल के साथ नैवेद्य (भोग) चढ़ाएं। इसके पश्चात घी का दीपक और धूप जलाकर श्री विष्णु मंत्रों, चालीसा, और पापांकुशा एकादशी व्रत कथा का पाठ करें। अंत में आरती करें। दिनभर निराहार या फलाहार व्रत रखें। संध्या समय पुनः भगवान विष्णु की पूजा करें। व्रत का पारण अगले दिन यानी द्वादशी तिथि को उचित समय पर करें।
पापांकुशा एकादशी व्रत पर पढ़ें ये विष्णु मंत्र
श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे।
हे नाथ नारायण वासुदेवाय।।
ॐ नारायणाय विद्महे।
वासुदेवाय धीमहि।
तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।
ॐ विष्णवे नम:
ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि।
ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।
लक्ष्मी विनायक मंत्र
दन्ताभये चक्र दरो दधानं,
कराग्रगस्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।
धृताब्जया लिंगितमब्धिपुत्रया
लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे।।
विष्णु के पंचरूप मंत्र
ॐ अं वासुदेवाय नम:
ॐ आं संकर्षणाय नम:
ॐ अं प्रद्युम्नाय नम:
ॐ अ: अनिरुद्धाय नम:
ॐ नारायणाय नम:
ॐ नमो नारायण। श्री मन नारायण नारायण हरि हरि।
ॐ हूं विष्णवे नम:।
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