Panchak 2020 In April: कोई भी शुभ कार्य शुरू करने से पहले लोग अपने पंडितजी से सलाह मशविरा जरूर करते हैं ताकि वो कोई अच्छा मुहूर्त बता सकें। अशुभ समय में किए गए कार्यों से मनचाहा परिणाम नहीं मिलता है। यही कारण है कि पंचक में बहुत से शुभ काम करने की मनाही है। ज्योतिष शास्त्र में पंचक को शुभ नक्षत्र नहीं माना जाता है। जब चन्द्रमा कुंभ और मीन राशि पर रहता है उसी समय को पंचक कहते हैं। इसे अशुभ और हानिकारक नक्षत्रों का योग माना जाता है। इसलिए इन दिनों में विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है। इस बार पंचक बीते कल यानि कि 17 अप्रैल से शुरू हो चुके हैं। आने वाले 5 दिन अधिक सतर्क रहने की जरूरत है और अगर इस बीच आप किसी नए या शुभ कार्य करने का सोच रहे थे तो उसे बिल्कुल भी शुरू न करें। आइए जानते हैं क्या है पंचक-

क्या है पंचक: धनिष्ठा, शतभिषा, उत्तरा भाद्रपद, पूर्वा भाद्रपद व रेवती नक्षत्र, ये सभी पंचक के अंतर्गत ही आते हैं। इन पांच नक्षत्रों के मेल से बनने वाले विशेष योग को ‘पंचक काल’ कहा जाता है। पंचक धनिष्ठा नक्षत्र के तृतीय चरण से प्रारंभ होकर रेवती नक्षत्र के अंतिम चरण तक रहता है। हर दिन एक नक्षत्र होता है इस हिसाब से धनिष्ठा से रेवती तक पांच दिन हुए। ये पांच दिन पंचक होता है। 17 अप्रैल को शुक्रवार था, बता दें कि शुक्रवार को शुरू होने वाला पंचक चोर पंचक कहलाता है। ज्योतिषों के अनुसार, इस पंचक में यात्रा करने की मनाही होती है। चोर पंचक के अलावा,  पंचक के 4 और प्रकार होते हैं। रोग पंचक, राज पंचक, अग्नि पंचक और मृत्यु पंचक। 2020 में अब तक 3 पंचक लग चुके हैं, अंतिम बार ये 21 मार्च को लगा था।

क्या है मान्यता: माना जाता है कि पंचक के दौरान यदि कोई अशुभ कार्य हो तो उनकी पांच बार आवृत्ति होती है। इसलिए उसका निवारण करना आवश्यक होता है। किसी की मृत्यु के समय खासतौर पर पंचक को ध्यान में रखा जाता है। ये मान्यता है कि यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु पंचक के दौरान हो जाए तो घर-परिवार में पांच लोगों पर मृत्यु के समान संकट रहता है। ऐसे में जिस व्यक्ति की मृत्यु पंचक के दौरान होती है, उसके दाह संस्कार के समय आटे-चावल के पांच पुतले या पिंड बनाकर साथ में उनका भी दाह कर दिया जाता है। इससे परिवार पर से पंचक दोष समाप्त हो जाता है।

इन बातों का रखें ध्यान: लॉक डाउन के समय में तो लोग अपने घर से बाहर नहीं ही निकल पा रहे हैं, वैसे भी पंचक के दौरान यात्रा करने से बचना चाहिए। इसके अलावा धन से जुड़ा कोई कार्य भी पूर्णत: निषेध माना गया है। ऐसा माना जाता है कि पंचक के समय में धन हानि के आसार अधिक होते हैं। वहीं, पंचक के बीच ना ही घर की छत और पलंग बनवाना चाहिए और ना ही ईंधन का सामान इकट्ठा करना चाहिए। पंचक के दौरान दक्षिण दिशा में यात्रा नहीं करनी चाहिए, क्योंकि दक्षिण दिशा, यम की दिशा मानी गई है। इन नक्षत्रों में दक्षिण दिशा की यात्रा करना हानिकारक माना गया है।

क्या है पंचक का समय:

पंचक तिथि प्रारंभ – 17 अप्रैल, 12:18 PM
पंचक तिथि समाप्त – 22 अप्रैल, 01:18 PM