Panchak Start Date and Time: हिंदू धर्म में पंचक का विशेष महत्व है। पंचक ज्योतिष शास्त्र में एक अशुभ काल के रूप में देखा जाता है। इस समय कई कार्य करने की मनाही होती है। पंचक 5 दिन की होती हैं। पंचांग के अनुसार दिसंबर माह में पंचक की शुरुआत 24 तारीख से होगी। साथ ही ये पंचक 29 दिसंबर की सुबह 7 बजकर 41 मिनट तक रहेगा वहीं 24 दिसंबर को बुधवार का दिन पड़ रहा है, इसलिए इस दिन शुरू होने वाला ये पंचक राज पंचक कहा जाएगा। आइए जानते हैं पंचक काल कब से कब तक है…
जानिए पंचक कब से कब तक
दिसंबर माह में पंचक प्रारंभ : 24 दिसंबर 2025, बुधवार को शाम 7 बजकर 47 मिनट से पंचक की शुरुआत हो रही है।
दिसंबर माह में पंचक समाप्त: 29 दिसंबर 2025, सोमवार की सुबह 7 बजकर 41 मिनट पर समाप्त होगा।
ऐसे बनता है पंचक का योग
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चन्द्र ग्रह का धनिष्ठा नक्षत्र के तृतीय चरण और शतभिषा, पूवार्भाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रेवती नक्षत्र के चारों चरणों में भ्रमण काल पंचक काल माना जाता है। वहीं जब चंद्रमा का गोचर कुंभ और मीन राशि में होता है, तो भी ‘पंचक’ की स्थिति बनती है। मतलब पंचक के अंतर्गत धनिष्ठा, शतभिषा, उत्तरा भाद्रपद, पूर्वा भाद्रपद व रेवती नक्षत्र आते हैं। इन पांच नक्षत्रों से गुजरने में चंद्रमा को लगभग पांच दिनों का समय लगता है। चंद्रमा की इस पांच दिवसीय अवधि को ही पंचक कहा जाता है। पंचक को अशुभ समय माना जाता है और इस दौरान विवाह, गृह प्रवेश जैसे कई शुभ कार्य वर्जित होते हैं।
पंचकों में इन 5 कार्यों की होती है मनाही
1- पंचक के समय में चारपाई बनवाना शुभ नहीं माना जाता ऐसा करने से धन की हानि हो सकती है। साथ ही कोई अशुभ घटना घटित हो सकती है।
2- पंचक के समय घास, लकड़ी, आदि जलने वाली वस्तुएं एकत्र नहीं करनी चाहिए। ऐसा करने से आने वाले दिनों में कोई कार्य बनते बनते रुक सकता है।
3- दक्षिण दिशा में पंचकों के दौरान यात्रा नहीं करनी चाहिए। क्योंकि यह दिशा यम और पितरों की मानी गई है। ऐसा करने से यात्रा में परेशानियोंं का सामना करना पड़ सकता है।
4-पंचक के दौरान घर की छत नहीं बनवानी चाहिए। ऐसा करने से घर में क्लेश और धन की हानि हो सकती है।
5- शास्त्रों के अनुसार शय्या का निर्माण पंचकों के दौरान नहीं करना चाहिए। वहीं अगर किसी व्यक्ति की पंचकों के दौरान मृत्यु हुई है तो मृतक के शव के साथ पांच पुतले आटे या कुश के बनाकर रखने की मान्यता है। माना जाता है कि ऐसा करने से पंचक दोष समाप्त हो जाता है।
