Panchak Start Date and Time: हिंदू धर्म में ज्योतिषीय गणना के आधार पर कोई भी शुभ कार्य करने से पहले शुभ और अशुभ समय जरूर देखा जाता है। ज्योतिष शास्त्र में ऐसी मान्यता है कि यदि किसी विशेष मुहूर्त में शुभ कार्य किया जाए तो उसमें सफलता अवश्य ही प्राप्त होती है। इसी तरह जब एक महीने में 5 दिन का अशुभ मुहूर्त आता है तो उसे पंचक कहते हैं और पंचक के दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार 09 सितंबर को दोपहर से 5 दिनों तक पंचक शुरू हो रहा है जो 13 सितंबर 2022 की सुबह तक चलेगा। इस दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए-
पंचक प्रारंभ तिथि एवं समय – 9 सितंबर 2022, शुक्रवार दोपहर 12:39 बजे
पंचक समाप्त तिथि एवं समय – 13 सितंबर 2022, मंगलवार सुबह 06:36 बजे
ज्योतिषियों के अनुसार पंचक कई प्रकार के होते हैं। आइए जानते हैं पंचकों के प्रकार:-
यदि रविवार से पंचक प्रारंभ हो तो वह रोग पंचक कहलाता है। इस पंचक के प्रभाव में व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। यदि पंचक सोमवार से प्रारंभ हो तो वह राज पंचक कहलाता है, यह पंचक बहुत ही शुभ माना जाता है। यह भी माना जाता है कि इस समय सरकारी कार्यों में सफलता मिलती है और संपत्ति से जुड़े विवाद बिना किसी रुकावट सुलझते हैं।
यदि पंचक मंगलवार से प्रारंभ हो तो इस पंचक की अवधि में आग लगने का भय रहता है, जिसके कारण यह पंचक अत्यंत अशुभ बताया गया है। इस समय उपकरण खरीदना, निर्माण करना या मशीनरी का काम करना अशुभ होता है। लेकिन इस पंचक के समय में न्यायालय-अदालत और अधिकार प्राप्त करने से संबंधित मामले शुरू किए जा सकते हैं, क्योंकि इन मामलों में सफलता मिलने की संभावना अधिक होती है।
अगर पंचक बुधवार या गुरुवार से शुरू हो तो ये ज्यादा अशुभ नहीं होते हैं। पंचक के मुख्य निषेधात्मक कार्यों को छोड़कर कोई भी कार्य किया जा सकता है। ज्योतिषियों के अनुसार शुक्रवार से शुरू होने वाले पंचक जिसे चोर पंचक भी कहते हैं, इस दौरान यात्रा नहीं करनी चाहिए और इसी के साथ पैसों से जुड़ा कोई भी काम पूरी तरह से वर्जित माना जाता है। यह भी माना जाता है कि इस दौरान धन हानि होने की प्रबल संभावना है।
यदि शनिवार से पंचक प्रारंभ हो तो यह पंचक सर्वाधिक घातक होता है क्योंकि इसे मृत्यु पंचक कहा जाता है। यदि इस समयावधि में कोई कार्य प्रारंभ किया जाता है तो व्यक्ति को मृत्यु का सामना करना पड़ सकता है। शनिवार से शुरू होने वाले पंचक काल में कोई जोखिम भरा कार्य नहीं करना चाहिए। अन्यथा, व्यक्ति को चोट, दुर्घटना और यहां तक कि मृत्यु का भी खतरा होता है।
जानें पंचक में किन कार्यों की है मनाही
धनिष्ठा नक्षत्र में अग्नि से संबंधित कोई भी कार्य करने से बचना चाहिए, क्योंकि अग्नि का भय रहता है। धनिष्ठा और शतभिषा नक्षत्रों को चल संज्ञक माना जाता है, जिसमें आप वाहन या यात्रा से संबंधित कार्य कर सकते हैं। दक्षिण दिशा को यम की दिशा कहा जाता है। पंचक में दक्षिण दिशा की यात्रा करना अशुभ होता है, ऐसा करने से हानि होना लगभग तय है। जानकारों के मुताबिक पंचक को बहुत ही अशुभ माना जाता है, लेकिन इसके बाद भी शादी जैसे काम करने से डर नहीं लगता।
रेवती नक्षत्र में कभी भी घर की छत नहीं बनानी चाहिए, क्योंकि इससे धन हानि के साथ-साथ घाट का भी भय रहता है। गरुण पुराण के अनुसार पंचक के दौरान शव का अंतिम संस्कार करते समय किसी योग्य विशेषज्ञ से पूछकर मृत शरीर के साथ आटे या कुश (एक प्रकार की घास) के पांच पुतले रखकर पूरे विधि विधान से अंतिम संस्कार करना। से पंचक दोष से मुक्ति मिलती है।
पंचक में तीन नक्षत्र पूर्व भाद्रपद, उत्तर भाद्रपद और रेवती रविवार के दिन होने से 28 योगों में से 3 शुभ योग बनते हैं, चर, स्थिर और प्रवर्ध आदि। इस समय शुभ कार्यों में सफलता प्राप्त करने का विचार आता है। कार्यों पर विचार किया जा सकता है। अशुभ होने के बाद भी पंचक में कई विशेष शुभ कार्य किए जा सकते हैं, जो विभिन्न राशियों पर निर्भर करते हैं।
उत्तरभाद्रपद नक्षत्र को स्थिर संज्ञक नक्षत्र कहा जाता है, जिसमें आप अचल संपत्ति से संबंधित कार्य कर सकते हैं। आप नया घर, मकान भी खरीद सकते हैं। जमीन से जुड़े काम कर सकते हैं। घर में प्रवेश कर सकते हैं और खेत में बीज लगा सकते हैं। रेवती नक्षत्र मित्रता का संकेत माना जाता है, इस समय आप नए कपड़े या आभूषण खरीद सकते हैं और साथ ही व्यापारिक समझौते भी कर सकते हैं।