Padmini Ekadashi 2020 : हिंदू पंचांग के मुताबिक पद्मिनी एकादशी अधिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। इस महीने को बहुत खास माना जाता है। कहते हैं कि अधिक मास में पूजा, व्रत और आराधना का फल भी अधिक मिलता है। इसलिए पद्मिनी एकादशी को और भी अधिक प्रभावशाली माना जाता है। एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है। कहते हैं कि सभी जीवो को मोक्ष दिलाने वाले भगवान विष्णु ही हैं। मान्यता है कि उनकी कृपा से ही यह सारा संसार चलता है।

पद्मिनी एकादशी की कथा (Padmini Ekadashi Ki Katha/ Padmini Ekadashi Vrat Katha)
त्रेता युग में कीतृवीर्य नाम का राजा था। उसकी हजार रानियां थीं। लेकिन कोई संतान नहीं थी। इसलिए राजा दुखी रहता था। वह संतान प्राप्ति के लिए कई धार्मिक अनुष्ठान किया करता था। संतान प्राप्ति के लिए उसने एक बार कठोर तपस्या की। लेकिन फिर भी उसे कोई पल प्राप्त नहीं हुआ। तब देवी अनुसूया ने राजा कीतृवीर्य को यह उपाय बताया कि आप अधिक मास में आने वाली पद्मिनी एकादशी का व्रत कीजिए। राजा ने अपनी रानी के साथ मिलकर व्रत किया और उसे व्रत के प्रभाव से एक सुंदर और बलशाली पुत्र की प्राप्ति हुई।

एकादशी आरती (Ekadashi Aarti)

ॐ जय एकादशी, जय एकादशी, जय एकादशी माता।
विष्णु पूजा व्रत को धारण कर, शक्ति मुक्ति पाता ।। ॐ।।
मार्गशीर्ष के कृष्णपक्ष की उत्पन्ना, विश्वतारनी जन्मी।
शुक्ल पक्ष में हुई मोक्षदा, मुक्तिदाता बन आई।। ॐ।।

तेरे नाम गिनाऊं देवी, भक्ति प्रदान करनी।
गण गौरव की देनी माता, शास्त्रों में वरनी ।।ॐ।।
पौष के कृष्णपक्ष की, सफला नामक है।
शुक्लपक्ष में होय पुत्रदा, आनन्द अधिक रहै ।। ॐ ।।

नाम षटतिला माघ मास में, कृष्णपक्ष आवै।
शुक्लपक्ष में जया, कहावै, विजय सदा पावै ।। ॐ ।।
विजया फागुन कृष्णपक्ष में शुक्ला आमलकी।
पापमोचनी कृष्ण पक्ष में, चैत्र महाबलि की ।। ॐ ।।

चैत्र शुक्ल में नाम कामदा, धन देने वाली।
नाम बरुथिनी कृष्णपक्ष में, वैसाख माह वाली ।। ॐ ।।
शुक्ल पक्ष में होय मोहिनी अपरा ज्येष्ठ कृष्णपक्षी।
नाम निर्जला सब सुख करनी, शुक्लपक्ष रखी।। ॐ ।।

योगिनी नाम आषाढ में जानों, कृष्णपक्ष करनी।
देवशयनी नाम कहायो, शुक्लपक्ष धरनी ।। ॐ ।।
कामिका श्रावण मास में आवै, कृष्णपक्ष कहिए।
श्रावण शुक्ला होय पवित्रा आनन्द से रहिए।। ॐ ।।

अजा भाद्रपद कृष्णपक्ष की, परिवर्तिनी शुक्ला।
इन्द्रा आश्चिन कृष्णपक्ष में, व्रत से भवसागर निकला।। ॐ ।।
पापांकुशा है शुक्ल पक्ष में, आप हरनहारी।
रमा मास कार्तिक में आवै, सुखदायक भारी ।। ॐ ।।

देवोत्थानी शुक्लपक्ष की, दुखनाशक मैया।
पावन मास में करूं विनती पार करो नैया ।। ॐ ।।
परमा कृष्णपक्ष में होती, जन मंगल करनी।
शुक्ल मास में होय पद्मिनी दुख दारिद्र हरनी ।। ॐ ।।
जो कोई आरती एकादशी की, भक्ति सहित गावै।
जन गुरदिता स्वर्ग का वासा, निश्चय वह पावै।। ॐ ।।