Osho Birthday: ओशो को आध्यात्मिक विचारों से क्रांति लाने वाले व्यक्ति के रूप में जाना जाता है। उनका जन्म 11 दिसंबर, 1931 को मध्य प्रदेश के कुचवाड़ा में हुआ था।बचपन में उन्हें चंद्रमोहन नाम से बुलाया जाता था। आध्यात्म की दिशा में उनके विचारों को देखते हुए बाद में उन्हें ओशो कहा जाने लगा। उन्होंने जबलपुर से शिक्षा प्राप्त की। बाद में वो जबलपुर यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर बने। साल 1990 में उन्होंने नौकरी छोड़ दी और सन्यास ले लिया।

ओशो आस्तिक से नास्तिक होने की बात भी करते थे। उनका मानना था कि व्यक्ति को अपनी आत्मा को प्रसन्न करने के लिए ध्यान और साधना आदि का सहारा लेना चाहिए। कहा जाता है कि ओशो पहले ऐसे गुरु थे जिन्होंने प्रेम के साथ विरोध की बात की। मृत्यु का दुनियाभर में शोक मनाया जाता है, लेकिन ओशो ने उसे उत्सव नाम दिया।

ओशो का सबसे ज्यादा विरोध तब हुआ जब उन्होंने संभोग को समाधि का नाम दिया। क्योंकि भले से यह संसार की उत्पत्ति के लिए संभोग को जरूरी माना जाता है, लेकिन अधिकतर धर्म ग्रंथों और धर्म गुरुओं ने इसे अच्छा नहीं मानते हैं और न ही इस विषय पर अपने अनुयायियों से बात करना चाहते हैं। जबकि ओशो ने इस विषय पर खूब चर्चा की और इसे समाधि का नाम दिया। आइए जानते हैं प्रेम पर ओशो के विचार –

प्यार की सर्वश्रेष्ठ सीमा आजादी है, पूरी आजादी। किसी भी रिश्ते के खत्म होने का मुख्य कारण आजादी का न होना ही है।

मैं तो दो ही शब्दों पर जोर देता हूं- प्रेम और ध्यान। क्योंकि मेरे लिए अस्तित्व के मंदिर के दो ही दरवाजे हैं। एक का नाम है प्रेम और एक का नाम है ध्यान।

ये कोई मायने नहीं रखता है कि आप किसे प्यार करते हैं, कहां प्यार करते हैं, क्यों प्यार करते हैं, कब प्यार करते हैं, कैसे प्यार करते हैं और किस लिए प्यार करते हैं, मायने सिर्फ यही रखता है कि आप केवल प्यार करते हैं।

प्रेम एक आध्यात्मिक घटना है, वासना भौतिक, अहंकार मनोवैज्ञानिक है, प्रेम आध्यात्मिक।

जब आप हंस रहे होते हैं तो ईश्वर की इबादत कर रहे होते हैं। और जब आप किसी को हंसा रहे होते हैं तो ईश्वर आप की इबादत कर रहा होता है।