Samudrik Shastra for Chin: सामुद्रिक शास्त्र में अंगों की बनावट और उन पर बने निशानों के बारे में गहन विचार किया गया है। कहते हैं कि इस शास्त्र की रचना ऋषि समुद्र ने इसलिए की थी ताकि किसी से बात किए बिना भी उसका स्वभाव और व्यवहार जाना जा सके।
बताया जाता है कि सामुद्रिक शास्त्र में बताए गए तर्कों पर यकीन किया जा सकता है, क्योंकि यह कई वर्षों तक किए गए अध्ययन का नतीजा है। सामुद्रिक शास्त्र में शरीर के विभिन्न अंगों की तरह ही ठोड़ी के बारे में भी बात की गई है। खासतौर इस शास्त्र में यह कहा गया है कि ठोड़ी का तिल (Mole on Chin) बहुत खास होता है।
ठोड़ी के बीच में तिल: ऐसी मान्यता है कि जिन लोगों के ठोड़ी के बीच में तिल होता है, ऐसे लोग बहुत चंचल होते हैं। इन्हें जिंदगी से कई उम्मीदें रहती हैं। ऐसे लोगों की यह कोशिश रहती है कि यह अपना जीवन में खुशी से जीएं और इनसे प्यार करने वाले लोग भी इनसे खुश रहें। इन लोगों को किसी को दुखी देखकर दुख महसूस होता है। सामुद्रिक शास्त्र कहता है कि ऐसे लोग दिल के साफ होते हैं।
ठोड़ी के दाहिनीं ओर तिल होना: जिनकी ठोड़ी के दाहिनीं ओर तिल होता है, ऐसे लोग बहुत कलात्मक होते हैं। कहा जाता है कि इन लोगों को लंबे समय तक एक करियर, एक जगह या एक व्यक्ति के साथ रहना पसंद नहीं होता है। ऐसे लोग अपने जीवन में कई सारे रंगों का संगम रखना पसंद करते हैं। बताया जाता है कि ऐसे लोग गुस्सैल होने के साथ ही खुशमिजाज भी होते हैं। इन्हें अपने दोस्तों के साथ क्वालिटी टाईम स्पेंड करना बहुत पसंद होता है।
ठोड़ी के बाएं ओर तिल होना: कहते हैं कि जिन लोगों के ठोड़ी के बाएं ओर तिल होता है, ऐसे लोग बहुत कंजूस होते हैं। इन्हें अपनी जरूरत का सामान लेने में भी परेशानी महसूस होती है। कहा जाता है कि ऐसे लोग किसी दोस्त, रिश्तेदार या परिवार के सदस्यों से भी कुछ गिफ्ट आदि लेना पसंद नहीं करते हैं। इन्हें अपनी जिंदगी मलग होकर बिताना पसंद होता है। बताया जाता है कि यह लोग बहुत दयालु होते हैं।