Chandra Grahan 2018: ज्यामितीय प्रतिबंध के कारण चंद्र ग्रहण केवल पूर्णिमा की रात्रि को घटित हो सकता है। चंद्र ग्रहण के प्रकार और उसकी आसंधियां चंद्रमा की स्थिति पर निर्भर करती हैं। जिस ग्रहण के दिन पूरे चंद्रमा पर ग्रहण लगता है उसे खग्रास चंद्रग्रहण कहा जाता है। साल 2018 के पहले ग्रहण को वैज्ञानिकों द्वारा ब्लड ब्ल्यू मून की संज्ञा दी गई है। इस दिन कई कार्यों को करना अशुभ माना जाता है, विशेषकर गर्भवती महिलाओं को सावधान रहने की आवश्यकता मानी जाती है। मान्यता है कि जो गर्भवती महिला ग्रहण को देख लेती है उसके शिशु को मानसिक या शारीरिक विकार हो सकता है। कई शिशुओं के शरीर पर जन्मचिंह भी बन जाते हैं।

चंद्रग्रहण को सूर्यग्रहण के विपरीत खुली आंखों से देखा जा सकता है क्योंकि चंद्र ग्रहण की उज्जवलता पूरे ग्रहण से कम होती है। ज्योतिषीय विद्या के अनुसार जब भी सूर्य और चंद्रमा राहु और केतु से पीड़ित होते हैं तब ग्रहण होता है। सूर्य और चंद्रमा का सीधा और प्रत्यक्ष प्रभाव पृथ्वी पर होता है। इसी से पूरा जनजीवन प्रभावित होता है। ग्रहण के दौरान सूर्य और चंद्रमा से निकलने वाली किरणें नकारात्मक प्रभाव उत्पन्न करती हैं जो शरीर और आंखों के लिए हानिकारक होती हैं। इन प्रभावों से विशेषकर गर्भवती महिलाओं को सावधान रहना चाहिए। इसके अलावा ग्रहण के समय मंदिर के कपाट बंद रखे जाते हैं।

Chandra Grahan 2018: सभी राशियों पर होगा प्रभाव, जानिए आपकी राशि पर क्या पड़ेगा असर

चंद्र ग्रहण को टेलीस्कोप से देखना लाभदायक होता है, वैसे तो बिना किसी सुरक्षा के भी चंद्र ग्रहण देखा जा सकता है। वहीं दूसरी तरफ सूर्यग्रहण के समय निकलने वाली किरणें शरीर को अधिक हानि पहुंचाती है। सूर्य को ग्रहण के समय देखने से आंखों में मौजूद रेटिना को हानि पहुंचती है। सूर्यग्रहण के समय आंखों के सामने सोलर फिल्टर को लगा लिया जाता है जिससे आंखों की रौशनी पर किसी तरह का प्रभाव नहीं पड़े। सूर्य ग्रहण को बिना सुरक्षा के देखने के बाद यदि रंगों को पहचानने या देखने में समस्या हो रही हो तो नेत्र चिकित्सक से जरुर सलाह लेनी चाहिए। इसी के साथ यदि आप नजर का चश्मा लगाते हैं तो उसके ऊपर सोलर फिल्टर का प्रयोग अवश्य करें। चंद्र ग्रहण के समय भी आंखों के प्रति लापरवाही करना हानिकारक हो सकता है। शाम सवा पांच बजे से के बाद से देश के अलग अलग हिस्सों में चंद्र ग्रहण शुरू होगा लेकिन शाम 5. 40 के बाद ही इसे देखा जा सकेगा। ऐसा माना जाता है कि चांद कभी नीला नहीं दिख सकता है।