नरपतदान चारण
वर्ष 2021 अलविदा होने को है। यह वर्ष बहुत कड़वी यादें देकर जा रहा है। बहुतों को अपनों को खोने का गम दे गया और कुछ को नया जीवन या जीवन में नई यादें दे गया। हर साल कर्म की गति एक सी नहीं रहती। हम हर नए साल पर नए जीवन की कामना करते हैं। तीन सौ पैंसठ दिनों का कालखंड कोई कम नहीं होता, जो जीवन की झोली में बहुत कुछ दे जाता है, जिसके हम शुक्रगुजार भी नहीं हो पाते और इतना कुछ ले भी जाता है कि हम अफसोस करते भी नहीं थकते। अब बीता साल भी बहुत कुछ साथ ले गया, लेकिन वह इंसान ही क्या जो खोने से हार कर बैठ जाए और जिÞंदगी को कोसने लगे। पुराने को दफन कर नवीन सृजन करना ही तो जीवन है।
बस बीते काल से नजर हटाइए और भविष्य की ओर निगाह फैलाइए। ऊपर देखिए, नई तारीखें हैं। नई उम्मीदें हैं। मगर क्या सचमुच ही कुछ खास होता है नया साल? वैसे तो हमारे अंदर वही सब घटता है,जो हमने जीवन में किया है। हर साल एहसासों का ग्राफ कुछ ऊपर नीचे होता है। काबिल ए गौर यह भी है कि महज कैलेंडर के दिन, महीने, साल बदलने से भीतर की जिजीविषा नहीं थमने वाली। उसके लिए समय कभी फिक्स नहीं किया जा सकता। दिल वैसे ही धड़कता रहेगा, वैसे ही सोचता रहेगा और वैसे ही महसूस करता रहेगा जैसा हम करेंगे। साल बदलने के मायने हैं कि बस खुद को बदलना लाजिÞमी है। सोचिए,अंतर्मन के बहिखाते में प्यार, गिले शिकवे, रूठना, मनाना बस यह तो जमा नहीं है। और वक़्त दर वक़्त कुछ ऐसा, कुछ वैसा यही तो नहीं करते आए हैं हम। फिर तारीखों के इस पार या उस पार क्या? साल बदले भी तो क्या?
वस्तुत: नए वर्ष के स्वागत का अर्थ है – एक नई चेतना, नई ऊर्जा, एक नया भाव, एक नया संकल्प, नया इरादा या कुछ ऐसा नया करने की प्रतिज्ञा, जो अब तक नहीं किया और कुछ ऐसा छोड़ने का भाव कि जिसके साथ चलना मुश्किल हो गया है। ऐसा करके ही हम नए वर्ष का सच्चे अर्थों में स्वागत कर सकते हैं। नव वर्ष का मूल उद्देश्य हमारी जड़ता को तोड़कर उसे गतिशील बनाना ही है। नया वक्त हमारी एकरसता को भंग करके उनमें एक नया रंग भरता हैं, ताकि हमारी आंतरिक ऊर्जा अपने पूरे जोशोखरोश के साथ अपने काम में लग सके। मौज-मस्ती से अपने में स्थाई नई ऊर्जा का संचार नहीं होता, तो आपको समझ लेना चाहिए कि आपके लिए इस तरह नया वर्ष मनाना व्यर्थ है।
नए का अर्थ ही है- सब कुछ नया। जिस प्रकार सांप अपनी केंचुली छोड़कर एक नया आवरण धारण करता है, बिल्कुल उसी तरह नए साल में हमें भी अपनी जड़-मानसिकता को छोड़कर नई मानसिकता अपनानी चाहिए। हमारे यहां होली का त्योहार इस नए वर्ष को बड़े अच्छे ढंग से व्यक्त करता है। होलिका दहन में लोग अपने घर का कूड़ा-कचरा उड़ेल देते हैं। यानी कि जो कुछ भी खराब है, पुराना था और जो व्यर्थ हो चुका है, उन सबको जलाकर नष्ट किया जा सकता है, ताकि नए के लिए जगह निकाल सके। ठीक उसी तरह इस नए साल में खराब आदत, छिछले इरादे और दबी मानसिकता को तिलांजलि दे कुछ नया अपनाएं। जीवन अपने आप नवीनता पा लेगा। जिजीविषा और मजबूत बनेगी।
