महान कूटनीतिज्ञ आचार्य चाणक्य अपनी नीतियों को लेकर दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं। चाणक्य जी की नीतियां आज के समय में भी प्रासंगिक मानी जाती है। आचार्य चाणक्य ने अपनी नीतियों के जरिए ही चंद्रगुप्त मौर्य का मार्गदर्शन किया था, जिसके बाद वह मगध के सम्राट बन गए थे। चाणक्य जी को न केवल राजनीति और अर्थशास्त्र की गहराई से समझ थी बल्कि वह सामाजिक विषयों की भी अच्छी-तरह से समझ रखते थे। माना जाता है कि अगर व्यक्ति चाणक्य जी की नीतियों का अनुसरण कर ले तो जीवन में कभी असफलता उसके आस-पास भी नहीं भटकती।
आचार्य चाणक्य के अनुसार अपनी जिंदगी में कभी भी तीन तरह के लोगों की मदद भूलकर भी नहीं करनी चाहिए। क्योंकि इससे न सिर्फ आपके मान-सम्मान को हानि पहुंचती है, बल्कि आप मुसीबत में भी पड़ सकते हैं।
मूर्खाशिष्योपदेशेन दुष्टास्त्रीभरणेन च,
दु:खिते सम्प्रयोगेण पंडितोऽप्यवसीदति।
मूर्ख व्यक्ति: इस श्लोक के माध्यम से आचार्य चाणक्य जी कहते हैं कि मूर्खों से सदैव दूरी बनाकर रखनी चाहिए। क्योंकि ऐसे लोगों को ज्ञान देना भैंस के आगे बीन बजाने के समान है। अगर आप मूर्ख व्यक्ति के भले की बात भी सोचते हैं तो वह फिजूल का तर्क देगा। मूर्ख व्यक्ति को ज्ञान देना समय और एनर्जी की बर्बादी मानी जाती हैं।
बुरे चरित्र वाला व्यक्ति: आचार्य चाणक्य बुरे चरित्र वाले व्यक्ति से लोगों को दूर रहने की सलाह देते हैं। यदि आप चरित्रहीन व्यक्ति के साथ समय व्यतीत करेंगे तो आपकी छवि भी धूमिल हो सकती है। इसलिए चाणक्य जी बुरे चरित्र वाले व्यक्ति से हमेशा दूरी बनाए रखने की सलाह देते हैं।
बेवजह दुखी रहने वाला व्यक्ति: चाणक्य जी मानते हैं कि बेवजह दुखी रहने वाला व्यक्ति हमेशा दूसरों की तरक्की से जलता है। ऐसे लोगों में ईर्ष्या की भावना होती है। यह हर किसी को पीछे धकेलने की कोशिश करते हैं। इसलिए चाणक्य जी बेवजह दुखी रहने वाली व्यक्ति से हमेशा दूरी बनाए रखने की सलाह देते हैं। चाणक्य जी कहते हैं कि ऐसे व्यक्ति हमेशा दूसरों का फायदा उठाना जानते हैं और काम हो जाने के बाद वह आपको छोड़ देते हैं।