कलश यानी घट स्थापना का भी खास महत्व होता है हिन्दू धर्म में पूजा का सम्पूर्ण फल प्राप्त करने के लिए कलश स्थापना करते समय कुछ नियमों का पालन करना जरूरी होता है। तो आइए जानते हैं कलश स्थापना की सही विधि, मुहूर्त और सामग्री के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां ।
चैत्र कलशस्थापना का शुभ मुहूर्त: प्रयागराज के ज्योतिषाचार्य प्रणव ओझा के मुताबिक नवरात्रि के प्रथम दिन यानि 2 अप्रैल 2022 को कलशस्थापना है, इस दिन प्रतिपदा तिथि समाप्त समाप्त हो रही रही है। मतलब कि 2 अप्रैल को सुबह 11 बजकर 58 पर प्रतिपदा तिथि समाप्त हो रही है। इसी दिन कलशस्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 22 मिनट से 8 बजकर 31 मिनट तक है और कलश स्थापना कि अवधि करीब 2 घंटे 09 मिनट है। जबकि अभिजीत मुहूर्त, 2 अप्रैल 2022 को दोपहर 12 बजकर 8 मिनट से 12 बजकर 50 मिनट तक है।
कलशस्थापना पूजन सामग्री: मां दुर्गा की नई मूर्ति या तस्वीर, लाल रंग की चौकी, पीला वस्त्र, एक आसन, नई लाल रंग की चुनरी, मिट्टी का एक कलश, आम की 5 हरी पत्तियां, मिट्टी के बर्तन, लाल सिंदूर, गुड़हल का फूल, फूलों की माला, श्रृंगार सामग्री, एक नई साड़ी, अक्षत्, गंगाजल, शहद, कलावा, चंदन, रोली, जटावाला नारियल, सूखा नारियल, अगरबत्ती, दीपक, बत्ती के लिए रुई, केसर, नैवेद्य, पंचमेवा, गुग्गल, लोबान, जौ, गाय का घी, धूप, अगरबत्ती, पान का पत्ता, सुपारी, लौंग, इलायची, कपूर, फल, मिठाई, उप्पलें, एक हवन कुंड, आम की सूखी लकड़ियां, माचिस, लाल रंग का ध्वज, दुर्गा चालीसा, दुर्गा सप्तशती, दुर्गा आरती की किताब आदि।।
विधि: चैत्र नवरात्रि के पहले दिन प्रातः उठकर स्नान आदि करके साफ वस्त्र पहनकर फिर मंदिर की साफ-सफाई करके गंगाजल का छिड़काव करे।
उसके बाद लाल कपड़ा बिछाकर उस पर चावल रखें। मिट्टी के एक पात्र में जौ बो दें और इस पात्र पर जल से भरा हुआ कलश स्थापित करें। कलश में चारों ओर अशोक के पत्ते लगाएं और स्वास्तिक बनाएं।
तुरन्त उसके बाद साबुत सुपारी, सिक्का और अक्षत डालें। उसके बाद एक नारियल पर चुनरी लपेटकर कलावा से बांधें और इसी नारियल को कलश के ऊपर पर रखते हुए देवी दुर्गा का आहवाहन करें। इसके बाद दीप जलाकर कलश की पूजा करें। ध्यान रखें कि कलश स्टील सा किसी अन्य अशुद्ध धातु का नहीं होना चाहिए। कलश के लिए सोना, चांदी, तांबा, पीतल के धातु के अलावा मिट्टी का घड़ा काफी शुभ माना जाता हैं।