Navratri 2020 Start date and End date, Kalash Sthapana Date, Muhurat, Puja Vidhi, Timings: सदियों से लोग नवरात्र का त्योहार मनाते आ रहे हैं और व्रत रखते आ रहे हैं। देश के विभिन्न हिस्सों में इस त्योहार को अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। कुछ लोग पूरी रात गरबा और आरती कर नवरात्र का व्रत रखते हैं तो वहीं कुछ लोग व्रत और उपवास रख मां दुर्गा और उनके नौ रूपों की पूजा-आराधना करते हैं। दरअसल नवरात्र अंत: शुद्धि का महात्योहार है।
देवी हैं ऊर्जा का स्रोत – भारतीय संस्कृति में देवी को ऊर्जा का स्रोत माना गया है। अपने अंदर की ऊर्जा को जागृत करना ही देवी उपासना का मुख्य प्रयोजन है। नवरात्रि मानसिक, शारीरिक और अध्यात्मिक शक्ति का प्रतीक है। इसलिए हजारों वर्षों से लोग नवरात्रि मना रहे हैं।
असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक है नवरात्र- नवरात्र का त्योहार मनाने के पीछे बहुत-सी रोचक कथाएं प्रचलित हैं। जिनमें यह बताया जाता है कि देवी ने कई असुरों के अंत करने के लिए बार-बार अवतार लिए हैं। कहा जाता है कि दैत्य गुरु शुक्रराचार्य के कहने पर असुरों ने घोर तप कर ब्रह्मा जी को प्रसन्न किया और वर मांगा कि उन्हें कोई पुरुष, जानवर और शस्त्र न मार सकें।
वरदान मिलते ही असुर अत्याचार करने लगे। तब देवताओं की रक्षा के लिए ब्रह्माजी ने वरदान का भेद खोलते हुए बताया कि असुरों का अंत अब स्त्री शक्ति ही कर सकती हैं। ब्रह्मा जी के आदेश पर देवताओं ने नौ दिनों तक मां पार्वती को प्रसन्न किया और उनसे असुरों के संहार का वचन लिया असुरों के संहार के लिए देवी ने रौद्र रूप धारण कर असुरों का अंत किया था।
दूसरी मान्यता यह है कि शारदीय नवरात्र की शुरुआत भगवान राम ने की थी। भगवान राम ने सबसे पहले समुद्र के तट पर शारदीय नवरात्रि की शुरुआत की और नौ दिनों तक शक्ति की पूजा की थी और तब जाकर उन्होंने लंका पर विजय प्राप्त किया था। यही मूल वजह है कि शारदीय नवरात्र में नौ दिनों तक दुर्गा मां की पूजा के बाद दसवें दिन दशहरा मनाया जाता है।


कहते हैं कि देवी दुर्गा की उपासना करने से देवी प्रसन्न होती हैं और सबका कल्याण करती हैं।
दुर्गा दुर्गा रटत ही,
सब संकट कटि जाय।
दुर्गा जननी सुत सद्रिश,
संतत करै सहाय।।
- पद रत्नाकर
रक्षांसि यत्रोग्रविषाश्च नागा यत्रारयो दस्युबलानि यत्र।
दावानलो यत्र तथाब्धिमध्ये तत्र स्थिता त्वं परिपासि विश्वम्॥
नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। इनका वाहन वृषभ यानी बैल है। शैल शब्द का अर्थ होता है पर्वत। शैलपुत्री को हिमालय पर्वत की बेटी कहा जाता है।
कहते हैं कि जो व्यक्ति सच्चे मन से नवरात्रि में देवी की आराधना करते है उसकी सभी मनोकामनाएं देवी की कृपा से पूरी होती हैं।
माता के साथ भैरव जी और हनुमान जी की उपासना करना जरूरी होता है। प्राचीन कथाओं में यह बताया जाता है कि बिना भैरवनाथ और भगवान हनुमान की उपासना के देवी दुर्गा की पूजा संपन्न नहीं मानी जाती है।
भारतीय संस्कृति में देवी को ऊर्जा का स्रोत माना गया है। अपने अंदर की ऊर्जा को जागृत करना ही देवी उपासना का मुख्य प्रयोजन है।
'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे' - माना जाता है कि इस मंत्र में तीनों देवियों का वास है। इसलिए नवरात्र में इस मंत्र का जाप करने के लिए कहा जाता है।
प्राचीन कथाओं में ऐसा बताया जाता है कि श्रीराम ने लंका जाने से पहले नौ दिनों तक मां दुर्गा की आराधना की थीं। फिर दसवें दिन रावण का वध किया था। इसलिए ही नवरात्र समाप्त होने के ठीक अगले दिन दशहरा मनाया जाता है।
इस बार देवी भगवती का आगमन शनिवार को हो रहा है, जो घोड़े पर आ रही हैं। घोड़ा युद्ध का प्रतीक है।
इस साल नवरात्र में पूरे 58 साल बाद शनि स्वराशि मकर और गुरु स्वराशि धनु में हैं। साथ ही इस बार घटस्थापना पर भी विशेष संयोग बन रहा है. ये महासंयोग देवी दुर्गा के भक्तों की झोलियां भरने वाला साबित हो सकता है।
शुभ समय - सुबह 6:27 से 10:13 तक ( विद्यार्थियों के लिए अतिशुभ)
अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 11:44 से 12:29 तक ( सर्वजन)
स्थिर लग्न ( वृश्चिक)- प्रात: 8.45 से 11 बजे तक ( शुभ चौघड़िया, व्यापारियों के लिए श्रेष्ठ)
नवरात्र के नौ दिनों को बहुत शुभ माना जाता है। कहते हैं कि इन नौ दिनों में देवी दुर्गा की उपासना करने से वह बहुत प्रसन्न होती हैं। ऐसी मान्यता है कि जो भी व्यक्ति नवरात्र के नौ दिन तक देवी की उपासना करता है, देवी उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं।
मां शैलपुत्री के लिए जो भोग बनाएं, गाय के घी से बने होने चाहिए। या सिर्फ गाय के घी चढ़ाने से भी बीमारी व संकट से छुटकारा मिलता है।
-चौकी पर लाल आसन बिछाकर देवी भगवती को प्रतिष्ठापित करें
-ईशान कोण में घटस्थापना करें
-कलश में गंगाजल, दो लोंग के जोड़े, सरसो, काले तिल, हल्दी, सुपारी रखें
-कलश में जल पूरा रखें, सामर्थ अनुसार चांदी का सिक्का या एक रुपये का सिक्का रखें
-कलश के चारों ओर पांच, सात या नौ आम के पत्ते रख लें
-जटा नारियल पर लाल चुनरी बांध कर नौ बार कलावा बांध दें। ( गांठ न लगाएं)
( नारियल को पीले चावल हाथ में रखकर संकल्प करें और फिर नारियल कलश पर स्थापित कर दें। कलश का स्थान न बदलें। प्रतिदिन कलश की पूजा करें)
-कलश स्थापना से पहले गुरु, अग्रणी देव गणेश, शंकरजी, विष्णुजी, सर्वदेवी और नवग्रह का आह्वान करें।
-जिस मंत्र का जाप संकल्प लें, उसी का वाचन करते हुए कलश स्थापित करें
साल 2020 में अधिक मास पड़ने के कारण इस साल नवरात्र का त्योहार एक माह के विलंब से शुरू हो रहा है। यह पर्व शक्ति का रूप देवी दुर्गा की अराधना का त्योहार है। 9 दिनों तक चलने वाले इस त्योहार में भक्त प्याज-लहसुन तक खाना छोड़ देते हैं। साथ ही, कई जगह देवी के भक्त इस दौरान मां जगदम्बा को प्रसन्न करने के लिए व्रत रखते हैं।
इस बार 9 दिनों में ही 10 दिनों का यह पर्व पूरा हो जाएगा, क्योंकि तिथियों का उतार-चढ़ाव है। 24 अक्तूबर को सुबह 6:58 तक अष्टमी है। उसके बाद नवमी लग जाएगी, तो अष्टमी व नवमी की पूजा एक ही दिन होगी। इसलिए दशहरा और देवी का गमन 25 अक्तूबर को ही हो जाएगा।
वन्दे वांच्छित लाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारूढ़ां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥
ॐ या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे ॐ शैलपुत्री देव्यै नम:।
ॐ शं शैलपुत्री देव्यै: नम:।
ॐ शैलपुत्रै नमः।
हे मां तुमसे विश्वास ना उठने देना
बन के रोशनी तुम राह दिखा देना,
और बिगड़े काम बना देना…
खुशी आप सबको इतनी मिले
कभी ना हो दुखों का सामना,
दूर की सुनती हैं मां,
पास की सुनती हैं मां,
मां तो आखिर मां हैं,
हर भक्त की सुनती हैं मां
लक्ष्मी का हाथ हो
सरस्वती का साथ हो
गणेश का निवास हो
और मां दुर्गा के आशीर्वाद से
आपके जीवन में प्रकाश ही प्रकाश हो….
!! शुभ नवरात्रि !!
सुख, शान्ति एवम समृध्दि की
मंगलमय कामनाओं के साथ
आप एवं आप के परिवार को शारदीय नवरात्रि की हार्दिक मंगल कामनायें
पहले नवरात्र वाले दिन आम के पत्तों का बंधन बार घर के दरवाजे पर लगाना बहुत शुभ माना जाता है। कहते हैं कि इससे घर में पवित्रता आती है। बंधन बार लगाने से घर से नकारात्मकता दूर होती है।
प्राचीन कथाओं में ऐसा बताया जाता है कि श्रीराम ने लंका जाने से पहले नौ दिनों तक मां दुर्गा की आराधना की थीं। फिर दसवें दिन रावण का वध किया था। इसलिए ही नवरात्र समाप्त होने के ठीक अगले दिन दशहरा मनाया जाता है।
पूजा की थाली में घी या तेल से भरा एक दीपक, ज्योत, धूप, अगरबत्ती, लाल फूल, तिलक, अक्षत, माचिस, कलावा और लाल फूलों का हार रखें। आप चाहें तो साथ में कुमकुम भी रख सकते हैं।
नवरात्र में माता दुर्गा की उपासना का विशेष फल मिलता है। कहते हैं कि इन नौ दिनों में दुर्गा चालीसा और दुर्गा स्तुति का पाठ करना चाहिए। साथ ही देवी दुर्गा के मंत्रों का भी जाप करना चाहिए।
नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना या कोई भी शुभ कार्य शुभ समय एवं तिथि में किया जाना उत्तम होता है। इसलिए इस दिन कलश स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त पर विचार किया जाना अत्यावश्यक है। अभिजित मुहूर्त पर ही स्थापना करें।
प्राचीन कथाओं में ऐसा बताया जाता है कि श्रीराम ने लंका जाने से पहले नौ दिनों तक मां दुर्गा की आराधना की थीं। फिर दसवें दिन रावण का वध किया था। इसलिए ही नवरात्र समाप्त होने के ठीक अगले दिन दशहरा मनाया जाता है।
मां की आराधना का ये पर्व है,
मां के नौ रूपों की भक्ति का पर्व है,
बिगड़े काम बनाने का पर्व है,
भक्ति का दिया दिल में जलाने का पर्व है
'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे' - माना जाता है कि इस मंत्र में तीनों देवियों का वास है। इसलिए नवरात्र में इस मंत्र का जाप करने के लिए कहा जाता है।
पूजा की थाली में घी या तेल से भरा एक दीपक, ज्योत, धूप, अगरबत्ती, लाल फूल, तिलक, अक्षत, माचिस, कलावा और लाल फूलों का हार रखें। आप चाहें तो साथ में कुमकुम भी रख सकते हैं।
या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिताः।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
नवरात्र में माता दुर्गा की उपासना का विशेष फल मिलता है। कहते हैं कि इन नौ दिनों में दुर्गा चालीसा और दुर्गा स्तुति का पाठ करना चाहिए। साथ ही देवी दुर्गा के मंत्रों का भी जाप करना चाहिए।
नवरात्र के दौरान दुर्गा सप्तशती का पाठ करना बहुत शुभ माना जाता है। कहते हैं कि इन नौ दिनों में जो व्यक्ति दुर्गा सप्तशती का पाठ करता है देवी दुर्गा उससे प्रसन्न होती हैं।
ज्योतिषों के मुताबिक इस बार नवरात्र में पूरे 58 साल बाद शनि स्वराशि मकर और गुरु स्वराशि धनु में हैं। साथ ही इस बार घटस्थापना पर भी विशेष संयोग बन रहा है. ये महासंयोग देवी दुर्गा के भक्तों की झोलियां भरने वाला साबित हो सकता है।
पहले नवरात्र वाले दिन आम के पत्तों का बंधन बार घर के दरवाजे पर लगाना बहुत शुभ माना जाता है। कहते हैं कि इससे घर में पवित्रता आती है। बंधन बार लगाने से घर से नकारात्मकता दूर होती है।
नवरात्र में मां अम्बे की पूजा हेतु जरूरी सामग्रियों की लिस्ट देख लें। लाल रंग की गोटेदार चुनरी, लाल रेशमी चूड़ियां, सिन्दूर, आम के पत्ते, लाल वस्त्र, लंबी बत्ती के लिए रुई या बत्ती, धूप, अगरबत्ती, माचिस, चौकी, चौकी के लिए लाल कपड़ा, नारियल, दुर्गासप्तशती किताब, कलश, साफ चावल, कुमकुम, मौली, शृंगार का सामान, दीपक, घी/तेल, फूल, फूलों का हार, पान, सुपारी, लाल झंडा, लौंग, इलायची, बताशे या मिसरी, कपूर, उपले, फल/मिठाई, चालीसा व आरती की किताब, देवी की प्रतिमा या फोटो, कलावा, मेवे