नवरात्रि हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। साल में दो बार ये पूरे भारत में मनाया जाता है। इसको मनाने के अलग-अलग तरीके हो सकते हैं लेकिन ये त्योहार हर कोई मनाता है। प्रमुख तौर पर दो नवरात्र मनाए जाते हैं लेकिन हिंदी पंचांग के अनुसार एक वर्ष में चार बार नवरात्र आते हैं। चैत्र, आषाढ़, अश्विन और माघ हिंदू कैलेंडर के अनुसार इन महीनों के शुक्ल पक्ष में आते हैं। हिंदू नववर्ष चैत्र माह के शुक्ल पक्ष के पहले दिन यानि पहले नवरात्रे को मनाया जाता है। आज 21 सितंबर से जो मां के लिए उपवास रख रहे हैं उनके लिए एक विशेष जानकारी हम लेकर आए हैं। हम सभी व्रत रख लेते हैं बिना उसके कोई नियम जाने इसके बाद होने वाली समस्याओं का भी हमें ही सामना करना पड़ता है। आज मां के नवरात्र शुरू हो गये हैं और उनके उपवास रखने के कुछ नियम होते हैं और कई प्रकार भी होते हैं।
उपवास के प्रकार-
सामान्य उपवास- इसमें जल, फल और दूध का ही सेवन करना होता है। अगर नमक की जरुरत हो तो सेंधा नमक का इस्तेमाल किया जा सकता है।
एकभक्त उपवास- इस उपवास में सूर्यास्त से पहले ही भोजन कर लेना चाहिए और जितनी भूख हो उससे कम ही खाना चाहिए।
इस उपवास में भोजन की सीमा भी बताई गई है जो मुनि हैं, पूर्ण संन्यास में है वो सिर्फ आठ ही ग्रास खा सकते हैं। जो लोग वानप्रास्ति लोग हैं वो 16 ग्रास का सेवन करेंगे और जो गृहस्थ लोग हैं वो 32 ग्रास खा सकते हैं। इस प्रकार ये उपवास पूर्ण होता है।
नट उपवास- ये उपवास वो करते हैं जो कठोर साधना वाले होते हैं और इन नौ दिनों में साधुओं की तरह रहते हैं। ऐसे लोग सूर्य अस्त होने के 48 मिनट में भोजन करते हैं और जितनी भूख हो उसका एक तिहाई ही भोजन करते हैं। ये हिस्सा भी वो ही होता है जो उन्हें किसी ने भिक्षा में दिया हो, वो भोजन ना खुद बना सकते हैं और ना ही किसी से मांग सकते हैं।
आयाचित उपवास- इस उपवास को करने वाले लोग दिन में सिर्फ एक बार कभी भी खाना खा सकते हैं, लेकिन ये भोजन भी किसी से मांगा हुआ नहीं होता है और ना ही पकाया हुआ होता है। अगर कोई भोजन भिक्षा में दे जाए तो अच्छा होता है नहीं तो भूखे ही रहा जाता है।
उपवास के नियम-
हमेशा उपवास दिल से ही करना चाहिए। उपवास सिर्फ भक्ति में ही नहीं होता है बल्कि आपके शरीर को भी ठीक करता है। नवरात्र हमेशा तब आते हैं जब मौसम में बड़ा परिवर्तन आता है। संध ऋतु में वात, पित्त और कफ अधिक प्रभावित होते हैं। इसी समय पेट सबसे ज्यादा खराब होता है। इसी समय शरीर में बहुत से बदलाव आते हैं। बुखार और कीट-पतंगों की समस्याएं भी इसी समय ज्यादा होती हैं। उपवास के दौरान कम खाया जाता है और कम खाने से लीवर ठीक रहता है। साल में चार नवरात्र आते हैं जब आप उपवास कर सकते हैं। उपवास में बस एक बार ही भोजन करना चाहिए। उपवास के साथ ध्यान करना आवश्यक होता है।