शारदीय नवरात्रि में आने वाली नवमी को महानवमी भी कहा जाता है। नवमी नवरात्रि का नौवां दिन और दुर्गा पूजा का तीसरा यानि आखिरी दिन होता है। मां दुर्गा के ये नौ दिन हिंदू धर्म में बहुत ही धूम-धाम से मनाए जाते हैं। इसके बाद दसवें दिन दशहरा जिसे विजयदशमी भी कहा जाता है एक बड़े पर्व के रुप में मनाया जाता है। अष्टमी की शाम से ही नवमी की तिथि लग जाती है। इस दिन नौ दिन के उपवास और तप का आखिरी दिन होता है। कन्या पूजन करके नवरात्रि का समापन किया जाता है। नवमी यानि दुर्गा नवमी के दिन कई लोग अपना व्रत पूर्ण करते हैं और अंत में छोटी कन्याओं का पूजन किया जाता है और उन्हें घर बुलाकर उन्हें भोजन करवाकर उनसे आशीर्वाद लिया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार छोटी कन्याओं को देवी का रूप माना गया है। कन्याओं के पूजन के बाद ही नौ दिन के बाद व्रत खोला जाता है। मां सिद्धीदात्री का पूजन करने के बाद ही नवरात्रि का समापन किया जाता है।

ऐसी मान्यता है कि इस दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था इसलिए इस दिन को महानवमी और दुर्गा नवमी के नाम से पर्व के रुप में मनाया जाने लगा। महानवमी के दिन महास्नान और षोडशोपचार पूजा करने का रिवाज है। ये पूजा अष्टमी की शाम ढलने के बाद की जाती है, जब नवमी की तिथि लग जाए। दुर्गा बलिदान की पूजा नवमी के दिन अपहरना काल में की जाती है। इस दिन यानि नवमी के दिन हवन करना आवश्यक होता है। नवरात्रि के समापन के लिए ही नवमी पूजन में हवन किया जाता है। नवमी का दिन मां सिद्धिदात्री का दिन होता है। इनके पूजन और कथा के बाद ही नवरात्री का समापन किया जाना शुभ माना जाता है।

शास्त्रों के अनुसार ऐसी मानयता है कि मां पार्वती ने महिषासुर नामक राक्षस को मारने के लिए दुर्गा का रुप लिया था। महिषासुर एक राक्षस था जिससे मुकाबला करना सभी देवताओं के लिए मुश्किल हो गया था। इसलिए आदिशक्ति ने दुर्गा का रुप धारण किया और महिषासुर से 8 दिनों तक युद्ध किया और नौवें दिन महिषासुर का वध कर दिया। उसके बाद से नवरात्रि का पूजन किया जाने लगा। नौवें दिन को महानवमी के दिन से जाना जाने लगा। इसके साथ ही सबसे पहले भगवान राम ने रावण से युद्ध करने से पहले नौ दिन मां दुर्गा की पूजा की थी और इसके बाद लंका पर चढ़ाई करके दसवें दिन रावण का वध किया था। इसलिए नवरात्रि के अगले दिन विजयदशमी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन को सत्य की असत्य पर जीत और धर्म की अधर्म की जीत के रुप में मनाया जाता है