Narak Chaturdashi Shubh Muhurat and Puja Vidhi: वैदिक पंचांग के अनुसार हर साल कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को नरक चतुर्दशी का त्योहार मनया जाता है।। इस पर्व को काली चौदस रूप चौदस और छोटी दिवाली नाम से भी जाना जाता है। इस दिन मृत्यु के देवता यमराज और भगवान श्रीकृष्ण की पूजा का विधान है। इस साल नरक चतुर्दशी 23 अक्टूबर दिन रविवार को है। साथ ही इस दिन घर के मुख्य द्वार पर दीपक भी जलाने का विधान है। आइए जानते हैं नरक चतुर्दशी का शुभ मुहूर्त और महत्व…
जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार 23 अक्टूबर 2022 की शाम 6 बजकर 3 मिनट पर चतुर्दशी तिथि आरंभ होगी और 24 अक्टूबर को शाम 5 बजकर समाप्त हो जाएगी। वहीं काली चौदस का शुभ मुहूर्त 23 अक्टूबर को रात 11 बजकर 40 मिनट से आरंभ होगा और 24 अक्टूर की दोपहर 12 बजकर 31 मिनट तक रहेगा। इस बीच पूजा कर सकते हैं।
जानिए धार्मिक महत्व और पौराणिक कथा
शास्त्रों के अनुसार एक नरकासुर नाम का राक्षस था जो देवता और साधु- संतों को आए दिन प्रताड़ित करता रहता है। जिससे परेशान होकर सभी देवता और साधु- संत भगवान श्री कृष्ण के पास सहायता के लिए पहुंचे। वहीं नरकासुर केवल स्त्री के हाथ से मरने का वरदान पा चुका था। जिससे बाद नरकासुर और भगवान श्री कृष्ण के बीच युद्ध हुआ और फिर श्रीकृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा की सहायता से नरकासुर का वध कर दिया। आपको बता दें कि नरकासुर ने 16 हजार बंधक बना रखें थे, जिन्हें भगवान श्री कृष्ण ने मुक्त कराया।
साथ ही जिस दिन नरकासुर का वध किया था, उस दिन कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि थी। तब से ही नरक चतुर्दशी का त्योहार मनाया जाने लगा। वहीं इस दिन मृत्यु के देवता यमराज की पूजा की जाती है और इसलिए इस दिन को यम के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन घर और प्रतिष्ठान पर दीपक जलाने चाहिए।
ये करें उपाय
नरक चतुर्दशी के दिन ही भगवान श्री कृष्ण की पूजा अर्चना करनी चाहिए। साथ ही इस दिन गाय की सेवा करने से सुख- समृद्धि की प्राप्ति होती है। वहीं मान्यता अनुसार इस दिन हनुमान जी को सिंदूर और चमेली का तेल मिलाकर चोला चढ़ाने से कष्टों से मुक्ति मिलती है।
