इस्लाम धर्म में नमाज महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस्लाम धर्म में अल्लाह को याद करने और उनकी इबादत करने के तरीके और समय को अहम माना जाता है। दिन में पांच बार नमाज पढ़ना इस्लाम के अनुसार उचित माना जाता है। कई लोग पांच बार की नमाज नहीं पढ़ पाते हैं तो शुक्रवार के दिन अल्लाह को याद करते हैं, इस दिन को जुमे का दिन कहा जाता है। इस दिन को रहम का दिन माना जाता है, व्यक्ति की सभी गलतियों को अल्लाह बच्चों की भूल मानकर माफ कर देते हैं। इस दिन नमाज पढ़ने के लिए कुछ अहम नियम माने गए हैं, माना जाता है कि इनके बिना नमाज की दुआ अल्लाह तक नहीं पहुंच पाती हैं।

जुमे की नमाज पढ़ने गुसल, इत्र और सिवाक तीन नियम बनाए गए हैं। गुसल नियम के अंतर्गत शुक्रवार के दिन स्नान करना जरुरी माना जाता है जिससे शरीर पाक हो जाए। इस नियम के बाद आता है इत्र लगाना। तीसरा नियम होता है सिवाक, शुक्रवार के दिन दांतों को मांजना जरुरी माना जाता है। इन नियमों का पालन करने के बाद ही नमाज पढ़नी चाहिए। इसके बाद ही नमाज की दुआ पूरी होती है और अल्लाह रहम बरसाते हैं।

इस्लाम धर्म की मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि खुदा ने स्वयं ही शुक्रवार को पाक दिन माना था। इसी तरह सभी महीनों में रमदान के माह को पवित्र माह माना जाता है। एक कथा के अनुसार शुक्रवार के दिन अल्लाह ने आदम को बनाया था और उसकी मृत्यु हुई थी। आदम जन्म के बाद धरती पर आए थे, इसलिए दिन के एक घंटे को बेहद अहम माना जाता है। शुक्रवार को उस दिन ही एक घंटे में नमाज पढ़ी जाती है।