रत्न विज्ञान के अनुसार रत्न ग्रहों का शुभ प्रभाव बढ़ाकर व्यक्ति को जीवन में तरक्की दिलाने का कारक बनते हैं। ज्योतिष शास्त्र में मूंगा मंगल ग्रह का प्रतिनिधि रत्न माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र में मंगल को साहस और जोश का कारक माना गया है। रत्न विज्ञान के अनुसार जिन लोगों का मंगल अशुभ या कमजोर होता है। वह लोग मूंगा धारण कर सकते हैं। आइए जानते हैं मूंगा पहनने के क्या फायदे होते हैं और इसे धारण करने की सही विधि क्या है।

जानिए कैसा होता है मूंगा:

मूंगा लाल, सिंदूरी, गेरुआ, सफेद तथा काले रंग का होता है। मूंगा रत्न धारण करने से मंगल मजबूत होता है जिससे इस ग्रह के शुभ प्रभावों में वृद्धि होने लगती है। दिल के रोगों के लिए भी मूंगा लाभकारी माना गया है। इस रत्न को अंग्रेजी में कोरल कहते हैं।

मूंगा रत्न धारण करने के लाभ:

यह मंगल ग्रह का रत्न है जो शक्ति, बल, साहस व ऊर्जा के स्वामी हैं। यह रत्न राजनीति, नेतृत्व, प्रशासन, सेना, पुलिस, मेडिकल क्षेत्र, तेल, गैस, प्रॉपर्टी, ईंटभट्टे के कार्य इत्यादि कारोबार का कारक है। किसी व्यक्ति को रक्त से सम्बन्धित कोई समस्या रहती है तो उसे मूंगा पहनने से फायदा मिलता है। उदासी व मानसिक अवसाद पर काबू पाने के लिए मूंगा रत्न अवश्य धारण करना चाहिए। यदि यदि अज्ञात भय का अनुभव हो तो मूंगा रत्न पहनना रामबाण साबित होगा।

मूंगा किसे करना चाहिए धारण:

मेष लग्न या राशि वालों के लिए मंगल उनका स्वामी है और मंगल का रत्न मूंगा पहनने से मंगल की पॉवर बढ़ती है। जिससे उनके अंदर रोग प्रतिरोधक क्षमता, आकर्षक व्यक्तित्व एवं बल प्रदान करते हैं। वृश्चिक लग्न और वृश्चिक राशि वाले भी मूंगा धारण कर सकते हैं, क्योंकि वृश्चिक राशि के स्वामी मंगल ग्रह हैं। अगर कुंडली में नीच का मंगल स्थित है तो मूंगा धारण नहीं करना चाहिए।

सिंह लग्न व सिंह राशि वालों के लिए मूंगा भाग्य को चमकाने वाला होता है। सिंह वालों के भाग्य का आधिपत्य मंगल के हाथ में होता है और यदि सिंह वालों को ऐसा लगे कि उनकी मेहनत अधिक है, उनको फल नहीं मिल रहा है। उनकी किस्मत साथ नहीं दे रही है तो भाग्य को जगाने के लिए मूंगा रत्न एक अलार्म की तरह काम करता है, साथ ही यह मंगल सुख देने वाला भी होता है।

 कैसे करें धारण मूंगा:

मूंगा को सोना, चांदी या तांबे की अंगूठी में बनवाकर धारण किया जा सकता है। अंगूठी को सबसे पहले कच्चे दूध और गंगाजल से धो लें और मंगलवार के दिन प्रातःकाल से लेकर दोपहर तक किसी भी समय में आप इसे दाएं हाथ की अनामिक उंगली में धारण करें। धारण करने के बाद क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः मंत्र का जप करते रहें। स्त्रियां बाएं हाथ की अनामिका उंगली में मूंगा धारण करें, तो बेहतर रहेगा।

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