December Vrat 2022: दिसंबर में भी कई व्रत पड़ रहे हैं। वहीं भगवान शिव की पूजा के लिए शुभ संयोग बना रहा है। प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि एक ही दिन पड़ रही है। ऐसा बहुत कम ही होता है कि मासिक शिवरात्रि और प्रदोष व्रत ही दिन हो। ऐसे में भगवान शिव की पूजा करने से कई लाभ हो सकते हैं।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार 21 दिसंबर को कृष्ण पक्ष में प्रदोष का व्रत पड़ रहा है। वहीं इसी दिन मासिक शिवरात्रि भी पड़ रही है। दोनों ही व्रत शिव की उपासना के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण माने जाते हैं। आइए जानतें हैं कि शिव की पूजा विधि और इन व्रतों का महत्व क्या है।
मासिक शिवरात्रि का महत्व (Importance of Masik Shivratri)
21 दिसंबर बुधवार के दिन मासिक शिवरात्रि पड़ रही है। मान्यता है कि मासिक शिवरात्रि के दिन व्रत रखने और पूजा करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। सभी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं। अगर इस दिन भगवान शिव का रुद्राभिषेक किया जाए तो उसका महत्व कई गुना अधिक हो जाता है।
प्रदोष व्रत का महत्व (Importance of Pradosh Vrat)
हर माह के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को प्रदोष व्रत पड़ता है। पुराणों के अनुसार इस व्रत को रखने से सेहत अच्छी रहती है और दीर्घायु की प्राप्ति होती है। वहीं इस व्रत को सच्चे मन से रखने पर बिगड़े कार्य बनने की भी मान्यता है। प्रदोष व्रत रखने से सभी प्रकार के दोष और कष्ट कट जाते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अगर प्रदोष व्रत सोमवार को पड़ता है, तो उसका फल अधिक होता है क्योकि सोमवार भगवान शिव का दिन होता है।
ऐसे करें भगवान शिव की पूजा (Puja Vidhi)
-सुबह प्रात: काल में उठे और स्नान के बाद साफ कपड़े पहने।
-पूजा स्थल की सफाई करें और गंगा जल से शुद्ध करें।
-भगवान शिव की पूजा करें।
-पूजा में दूध, दही, पंचामृत, शमी की पत्ती,बेल पत्र का प्रयोग करें।
-दूध या गंगा जल से भगवान शिव का अभिषेक करें।
-मीठे और फलों का भोग लगाए
-पूजा के बाद गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करें।