मनुष्य जीवन में धन अमूल्य वस्तुओं में एक है, इसके लिए शास्त्रों में भी उपाय बताए गए हैं। आर्थिक तंगी, दरिद्रता व अन्य पैसों से संबंधित परेशानियों से हम इस उपायों के माध्यम से आसानी से छुटकारा पा सकते हैं। हिन्दू धर्म के शास्त्रों में ऐसे अनेक अनुष्ठानों एवं स्त्रोतों का उल्लेख मिलता है जिनसे पैसों से संबंधित सभी परेशानियां जल्द दूर हो जाती है।
मनुष्य चाहे कितना भी संतोषी स्वभाव का क्यों न हो जाए, परन्तु दैनिक आवश्यकताओं की आपूर्ति बिना वह रह भी नहीं सकता, उसके भाग दौड़ भरे जीवन में यदि धन रूपी लाभ न मिले, तो जीवन नीरस से होता जाता है। धन अर्थात मां लक्ष्मी की कृपा। आज एक ऐसे अलौकिक स्तोत्र से आपका परिचय कराते हैं जो आपके जीवन में धन प्राप्ति के मार्ग खोल देगा, धनागमन में आ रही समस्त बाधाओं को दूर कर देगा। इस दिव्य स्तोत्र का नाम है ‘धनदा स्तोत्र’। इनके नित्य पठन य्या श्रवण मात्र से भी धन सम्बंधित समस्त समस्याओं का समाधान होता जाता है।
स्तोत्र पाठ के नियम: शिव मंदिर में, केले के पेड़ के नीचे, बेल के पेड़ के नीचे देशी घी का दीपक जलाकर इस चमत्कारिक स्तोत्र का पाठ किया जा सकता है। ज्योतिषाचार्य प्रणव ओझा के मुताबिक इसे शुक्रवार से प्रारम्भ करके नित्य 11 पाठ करने पर चमत्कारिक लाभ प्राप्त होते हैं। इसके साथ ही मां को खीर का भोग लगाया जा सकता है
धनदे धनपे देवी, दानशीले दयाकरे। त्वम् प्रसीद महेशानी यदर्थं प्रार्थयाम्यहम ।।1।।
धरामरप्रिये पुण्ये, धन्ये धनद-पूजिते। सुधनं धार्मिकं देहि, यजमानाय सत्वरम ।।2।।
रम्ये रुद्रप्रियेअपर्ने, रमारूपे रतिप्रिये। शिखासख्यमनोमूर्ते प्रसीद प्रणते मयी ।।3।।
आरक्त -चरणामभोजे, सिद्धि-सर्वार्थदायिनी। दिव्याम्बर्धरे दिव्ये, दिव्यमाल्यानुशोभिते ।।4।।
समस्तगुणसम्पन्ने, सर्वलक्षण -लक्षिते। शरच्चंद्रमुखे नीले, नीलनीरद- लोचने ।।5।।
चंचरीक -चमू -चारू- श्रीहार -कुटिलालके। दिव्ये दिव्यवरे श्रीदे, कलकंठरवामृते ।।6।।
हासावलोकनैर्दिव्येर्भक्तचिन्तापहारिके। रूप -लावण्य-तारुण्य -कारुण्यगुणभाजने ।।7।।
क्वणत-कंकण-मंजीरे, रस लीलाकराम्बुजे। रुद्रव्यक्त -महतत्वे, धर्माधारे धरालये ।।8।।
प्रयच्छ यजमानाय, धनं धर्मैक -साधनं। मातस्त्वं वाविलम्बेन, ददस्व जगदम्बिके ।।9।।
कृपाब्धे करूणागारे, प्रार्थये चाशु सिद्धये। वसुधे वसुधारूपे, वसु-वासव-वन्दिते ।।10।।
प्रार्थिने च धनं देहि, वरदे वरदा भव। ब्रह्मणा ब्राह्मणेह पूज्या, त्वया च शंकरो यथा ।।11।।
श्रीकरे शंकरे श्रीदे प्रसीद मयी किन्करे। स्तोत्रं दारिद्र्य -कष्टार्त-शमनं सुधन -प्रदम ।। 12।।
पार्वतीश -प्रसादेन सुरेश किन्करे स्थितम। मह्यं प्रयच्छ मातस्त्वं त्वामहं शरणं गतः ।।13।।
श्री धनदा लक्ष्मी स्तोत्र का नित्य पाठ करने वाला अवश्य ही धनवान बनता है… लक्ष्मी प्राप्त करने के लिए धन की देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करना चाहिए। अतः लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने के लिए सबसे अच्छा दिन शक्रवार का माना जाता है। इस दिन लक्ष्मी प्राप्ति के लिए इसका पाठ करना चाहिए। इसका शुक्रवार के दिन श्रद्धापूर्वक पाठ करने से व्यक्ति को स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।