Opal Gemstone: रत्न ज्योतिष अनुसार ओपल सफेद रंग का रत्न है जो शुक्र ग्रह को मजबूत करने का काम करता है। ओपल धारण करने से आर्थिक स्थिति में सुधार आने के साथ पति पत्नी के बीच के संबंध भी मजबूत होते हैं। व्यक्ति को समाज में प्रसिद्धि हासिल होती है। ओपल की खोज ऑस्ट्रेलिया, मैक्सिको, ब्राजील, हंगरी, सूडान और अमेरिका के खदानों में की जाती है। जानिए इस रत्न को धारण करने के लाभ और किन्हें करता है ये सूट।
ओपल स्टोन किसे पहनना चाहिए और किसे नहीं? ओपल तुला और वृष राशि के जातकों लिए सबसे उत्तम माना जाता है। तुला राशि वाले ओपल को बर्थ-स्टोन के रूप में धारण कर सकते हैं। इसके अलावा ज्योतिषीय सलाह से इस रत्न को मकर, कुंभ, मिथुन और कन्या राशि वाले लोग भी धारण कर सकते हैं। यदि कुंडली में शुक्र अशुभ स्थान में बैठा है तो ओपल स्टोन पहनने की सलाह दी जाती है। शुक्र के प्रथम, दूसरे, सातवें, नौवें या दसवें भाव में होने पर ओपल पहना जाता है। शुक्र ग्रह के चंद्रमा, सूर्य और बृहस्पति शत्रु ग्रह माने जाते हैं। इस वजह से माणिक्य, मोती और पुखराज के साथ ओपल रत्न धारण नहीं करना चाहिए।
ओपल रत्न पहनने से लाभ: सौंदर्य शक्ति में वृद्धि करता है। इसकी वृद्धि से व्यक्ति में स्वयं ही आकर्षण शक्ति विकसित होने लगता है। यह रत्न मानसिक स्तर की भी वृद्धि करता है। जो व्यक्ति निराश और थका हुआ महसूस करता है वह यदि ओपल पहनता है तो उसमें सकारात्मक ऊर्जा का संचार होने लगता है। ओपल पहनने से व्यक्ति में आध्यात्मिकता तथा सात्विक चिंतन का विकास होता है।
इस रत्न को धारण करने से दाम्पत्य जीवन में या प्रेम संबंधों में आ रही खटास दूर होती है। संगीत, अभिनेता, अभिनेत्री, चित्रकला, नृत्य, टीवी, फिल्म, थिएटर, कम्पूटर, आईटी से सम्बंधित काम करने वाले लोगों के लिए यह रत्न काफी लाभप्रद माना जाता है। ओपल पहनने वाले व्यक्ति को प्यार, खुशी और भाग्य का साथ मिलता है।
इसे धारण करने से सामाजिक संबंध मजबूत होते हैं। यात्रा, आयात और निर्यात के क्षेत्र से जुड़े व्यापारियों के लिए ये रत्न शुभ माना जाता है। इसे पहनने से एकाग्रता और मानसिक शांति आती है। कुल मिलाकर ये रत्न लोकप्रियता, सफलता और मान-सम्मान दिलाता है।
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ओपल धारण करने की विधि: ओपल को धारण करने के लिए किसी भी माह में शुक्ल पक्ष का शुक्रवार दिन ठीक रहता है। इस दिन इसे सीधे हाथ की अनामिका अंगुली में धारण करना चाहिए। इसे पहनने से पहले इस रत्न जड़ित अंगूठी को कच्चे दूध और गंगाजल से शुद्ध कर लेना चाहिए। शुद्ध करके इस अंगूठी को सफेद कपड़े के ऊपर रख लें फिर शुक्र के मंत्र ॐ द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम: की एक माला जप करके अंगूठी को पहन लेना चाहिए।
पहनने से पहले इसे कच्चे दूध और गंगाजल से शुद्ध कर लेना चाहिए। पुन: शुद्ध करके अंगूठी को सफेद कपड़े के ऊपर रख लें और शुक्र के मंत्र ॐ द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम: की एक माला से अभिमंत्रित करके अंगूठी को पहन लेना चाहिए।