आज माता पार्वती के स्वामी भगवान शिव का दिन है। माना जाता है कि मंगल के प्रभावों को कम करने में भगवान शिव सबसे अधिक मदद करते हैं। मंगल को ग्रहों का सेनापति माना जाता है। शक्ति, ऊर्जा, आत्मविश्वास और पराक्रम का स्वामी होता है। मंगल का मुख्य तत्व अग्नि तत्व है और मुख्य रंग लाल रंग माना जाता है। इसी के साथ धातु तांबा है और जौ इसका मुख्य अनाज माना जाता है। इसके साथ ज्योतिष विद्या के अनुसार माना जाता है कि जमीन और जमीन से निकलने वाली चीजों पर मंगल का ही प्रभाव माना जाता है। इसी के साथ मेष और वृश्चिक राशियां मंगल की राशियां मानी जाती हैं।
मंगल का प्रभाव मकर राशि में सबसे मजबूत और कर्क राशि में सबसे कमजोर माना जाता है। मंगल के प्रकोप से व्यक्ति का स्वभाव क्रूर और हिंसक होने लगता है। इसके साथ आत्मविश्वास और साहस का स्तर कमजोर होने लगता है। संपत्ति और जमीन के मामलों में मुश्किलें आ सकती हैं। मंगल के प्रभाव से रक्त से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं। इसी के साथ कर्ज बढ़ता जाता है और उसके कारण मुकदमे में भी फंस सकते हैं। वैवाहिक जीवन भी खराब हो सकता है। मंगल के बिगड़ने का प्रभाव सबसे ज्यादा व्यक्ति के स्वभाव पर पड़ता है।
मंगल के प्रभाव को ठीक करने के लिए रोज सुबह जल में लाल पुष्प डालकर भगवान शिव को अर्पित किया जा सकता है। इसके बाद लाल आसन पर बैठकर भगवान शिव के मंत्रों का जाप करें। ऊं नमो भगवते रुद्राय मंत्र से भगवान शिव को प्रसन्न किया जा सकता है। इस प्रयोग को 15 दिनों तक हर दिन करें। मंगल के कारण सेहत खराब रहे तो हर दिन शिव उपासना करें और ऊं हौं जूं सः मंत्र का जाप करें। मंगल के कारण कर्जों में दब गए हैं तो शिव उपासना के साथ ऊं ऋृणमुक्ताय नमः का जाप करना सबसे शुभ माना जाता है।


